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मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में 10 बच्चों की मौत का असली सच आया सामने; क्या कहते हैं मेडिकल एक्सपर्ट्स

10 Children Died in past 24 hours in Murshidabad of West Bengal : पश्चिमी बंगाल के मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में गुरुवार और शुक्रवार के बीच के 24 घंटों के भीतर 9 नवजात शिशुओं समेत 10 बच्चों की मौत हो गई है।

कोलकाता/मुर्शिदाबाद (अमर देव पासवान): पश्चिमी बंगाल के मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब यहां एक के बाद एक 10 दुधमुंहे बच्चों की मौत हो गई। इनमें से 9 तो नवजात थे। मिली जानकारी के अनुसार मुर्शिदाबाद के जंगीपुर स्थित मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज एंड सुपर स्पेसलिटी हॉस्पिटल के एसएनसीयू विभाग में गुरुवार दोपहर बाद दो-तीन नवजात शिशुओं की मौत के बाद टेंशन वाला माहौल खड़ा हो गया। इससे पहले कि कुछ समझ में आता, मौतों की गिनती बढ़ती चली गई और  एक ही दिन में बढ़कर 9 हो गई। इसके बाद से शुक्रवार दोपहर बाद तक यहां 10 बच्चों की जान जा चुकी है, जिनमें 9 नवजात शिशु तो एक 2 साल का बालक बताया जा रहा है। फिलहाल दिल दहला देने वाली इस घटना की जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है। हालांकि शुरुआती तौर पर मौत के इस तांडव के पीछे श्वसन प्रणाली संबंधी परेशानी और कुपोषण को बताया जा रहा है।

300 से 500 ग्राम था मृतक शिशुओं का वजन

इन हालात के बाद पूरे अस्पताल परिसर में हड़कंप मचा हुआ है। जांच का विषय है कि अचानक से अस्पताल में उन नवजात शिशुओं की तबियत कैसे बिगड़ी? ऐसा क्या हुआ कि उनकी मौत हो गई? अभी तक इन सवालात के जवाब पुख्ता तौर पर नहीं मिल सका है, लेकिन चिकित्सकों की मानें तो तमाम नवजात शिशु गर्भ में कुपोषण का शिकार थे। इनका वजन 300 से 500 ग्राम था। मौत का कारण यही हो सकता है। उधर, अस्पताल के बारे में एक और उल्लेखनीय पहलू यह भी बता देना जरूरी है कि एसएनसीयू विभाग में सिर्फ 52 नवजात शिशुओं को भर्ती किए जाने की क्षमता है, जबकि इस वक्त यहां भर्ती बच्चों की गिनती 250 हो गई थी। एक-एक बेड पर तीन शिशुओं को एडमिट किया जा रहा है, जिससे स्थिति बिगड़ने की आशंका प्रबल हो रही है।

मौत की वजह पर एक्सपर्ट्स ने कही ये बात

इस बारे में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स का कहना है कि मुर्शिदाबाद के तमाम गैर सरकारी अस्पतालों की भी स्थिति काफी खराब है, वहां वेंटिलेटर नहीं होने के कारण नवजात शिशुओं को यहां (मेडिकल कॉलेज में) लाया जा रहा है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ यहीं पर, बल्कि दूसरे अस्पतालों से भी शिशुओं की वजन 300 से 500 ग्राम के बीच है, जो अपने आप में चिंता का विषय है। प्रोफेसर अमित डैन ने बताया कि सात बच्चों को बेहद क्रिटिकल कंडीशन में अस्पताल लाया गया था। दो शिशुओं की मौत रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम की वजह से हुई है। एक का वजन बहुत कम होना उसके नहीं बचाए जाने का कारण बना। दो सेप्सिमिया से तो एक दिल से जुड़ी समस्या की वजह से मरे हैं। 10वां बच्चा न्यूरोडिजेनेरेटिव डिसऑर्डर का शिकार था। यह भी पढ़ें: Government Alert! आज ही छोड़ दें इस पेनकिलर दवा का इस्तेमाल, वरना हो जाएगी ये बीमारी


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