संजय सिंह की गिरफ्तारी केजरीवाल के लिए बड़ा झटका, AAP के सामने अब ये 5 चुनौतियां
Aap mp sanjay singh arrested: राज्यसभा सांसद संजय सिंह को शराब घोटाले के मामले में अरेस्ट किया जा चुका है। इससे पहले उनसे 10 घंटे तक पूछताछ हुई थी। एक्साइज जांच केस में दिनेश अरोड़ा गवाह बन गया है। इससे पहले अरोड़ा को प्रमुख आरोपी बनाया गया था। आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद मां का आशीर्वाद होने की बात कही थी कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। हर क्रांतिकारी को जेल जाना होता है। संजय का सपना आज पूरा हो गया। अन्याय के खिलाफ लड़ते रहेंगे, न डरे हैं, न ही डरेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उनकी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया था। पीएम पर निशाना साध केजरीवाल ने कहा था कि कई और विपक्षी नेता अरेस्ट होंगे।
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शराब घोटाले के मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को पहले ही अरेस्ट किया जा चुका है। केजरीवाल और सिसोदिया के बाद संजय को पार्टी में तीसरे नंबर पर माना जाता है। वे पार्टी के पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के मेंबर हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता के साथ-साथ उनके पास यूपी और बिहार की कमान भी है। इसके अलावा वे संदीप पाठक के साथ कई राज्यों में संगठन निर्माण का काम भी देख रहे थे। चुनावी राज्यों को लेकर भी उनके पास जिम्मेदारी थी। पार्टी के हर फैसले में उनकी राय, विपक्ष के साथ मीटिंग, इंडिया गठबंधन में आप का चेहरे के अलावा उनको रणनीति बनाने और समीकरण सेट करने के लिए जाना जाता था। लेकिन गिरफ्तारी के बाद अब आप के सामने कई चुनौतियां हैं।
आम आदमी पार्टी के सामने इन दिक्कतों से पार पाने की चुनौती
- दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पहले ही अरेस्ट हो चुके हैं। जिसके बाद संजय सिंह की गिरफ्तारी पार्टी के लिए दूसरा झटका है। केजरीवाल को ऐन चुनाव के मौके पर बड़ी चुनौती मिली है। क्योंकि मनीष के बाद संजय ही केजरी के लिए सबसे जरूरी बन गए थे। पार्टी की कई प्रमुख जिम्मेदारियां उनको सौंपी गई थी। यही नहीं हर फैसले में उनकी भूमिका होती थी।
- संजय सिंह मूल रूप से यूपी के सुल्तानपुर के रहने वाले थे। जो 2011 में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण दिल्ली आए थे। जब नवंबर 2012 में आप का गठन किया गया, तो वे कोर मेंबर थे। राज्यसभा में उनको काफी मुखर देखा जाता है। पार्टी के कई मुद्दों को वे जोरशोर से उठाते हैं। हिंदी भाषी राज्यों में संजय सिंह को काफी सक्रिय माना जाता है। लिहाजा अब ये कमी आप को खलेगी।
- माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस बार जो निकाय चुनाव हुए, उसमें आप का खाता उनकी वजह से खुला था। क्योंकि पार्टी की रणनीति से लेकर लोगों से जुड़ने तक में संजय का अहम रोल रहा। गाजियाबाद, कौशांबी, फिरोजाबाद, बदायूं समेत कई जिलों में आप को सफलता मिली, इसके पीछे संजय सिंह को ही माना जाता है। पिछली बार आप ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें हार का मुंह देखना पड़ा था।
- संजय सिंह को राजनीति की काफी समझ है। जिसके कारण ही आप के कांग्रेस और गैर बीजेपी दलों के साथ संबंध बने हैं। बताया जाता है कि केजरीवाल के साथ ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे की जो मीटिंग हुई थीं, उसमें भी संजय सिंह साथ थे। वरिष्ठ नेता होने के कारण पार्टी ने उनको काफी तवज्जो दी है। यही नहीं, जो इंडिया नाम से विपक्ष बना है, उससे तालमेल के लिए आप ने संजय सिंह को ही जिम्मा दिया था।
- संजय सिंह चाहे कोई भी मुद्दा हो, आप की आवाज को संसद में उठाते थे। किसान आंदोलन, अडानी मामला, बेरोजगारी, कोरोना और मणिपुर मामले में उन्होंने सरकार को खूब घेरा था। हाल ही में वे राज्यसभा में मणिपुर मामला उठाए जाने के बाद निलंबित किए गए थे। अडानी का मामला उठाने के दौरान भी पार्टी ने उनको खूब शाबाशी दी थी। माना जाता है कि अब संजय की गिरफ्तारी के बाद आप को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि संजय पार्टी के लिए काम करके बड़ा चेहरा बन चुके हैं।
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