मणिपुर हिंसा को लेकर यूरोपीय संसद में प्रस्ताव, भारत का जवाब- आंतरिक मामलों में दखल बर्दाश्त नहीं
Motion On Manipur Violence: यूरोपीय यूनियन (EU) की ब्रुसेल्स स्थित संसद ने मणिपुर हिंसा को लेकर एक प्रस्ताव पास किया। संसद ने भारतीय अधिकारियों से जातीय और धार्मिक हिंसा को रोकने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए उपाय अपनाने को कहा। इसके जवाब में भारत प्रस्ताव को अस्वीकार्य और औपनिवेशिक मानसिकता वाला बताते हुए खारिज कर दिया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है, और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि यूरोपीय संसद ने मणिपुर के विकास पर चर्चा की और एक तथाकथित अत्यावश्यक प्रस्ताव अपनाया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर भारतीय अधिकारी मणिपुर की स्थिति से अवगत है। हम शांति, सद्भाव और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठा रहे हैं।
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बुधवार को कहा कि संबंधित यूरोपीय संघ के सांसदों से संपर्क किया जा रहा है और उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यह भारत का बिल्कुल आंतरिक मामला है।
यूरोपिय संसद के प्रस्ताव में क्या कहा गया?
बता दें कि 'मणिपुर में स्थिति' शीर्षक वाले प्रस्ताव की शुरुआत यूरोपीय संसद में सोशलिस्ट और डेमोक्रेट्स के प्रगतिशील गठबंधन के समूह से यूरोपीय संसद (एमईपी) के सदस्य पियरे लारौटुरो ने की थी। पारित प्रस्ताव पर संसद के एक प्रेस बयान में कहा गया है कि संसद भारतीय अधिकारियों से जातीय और धार्मिक हिंसा को तुरंत रोकने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का आग्रह करती है।
एमईपी ने भारतीय अधिकारियों से हिंसा की जांच के लिए स्वतंत्र जांच की अनुमति देने का आह्वान किया और सभी परस्पर विरोधी पक्षों से भड़काऊ बयान देना बंद करने, विश्वास फिर से स्थापित करने और तनाव में मध्यस्थता करने के लिए निष्पक्ष भूमिका निभाने का आग्रह किया। बता दें कि यूरोपीय संसद में ये प्रस्ताव तब आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के बैस्टिल डे परेड में सम्मानित अतिथि के रूप में पहुंचे हैं।
अमेरिका के राजदूत ने मणिपुर हिंसा पर कही थी ये बात
इससे पहले भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी मणिपुर हिंसा को लेकर चर्चा की थी। उन्होंने कोलकाता में अमेरिकन सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ये कोई राजनीतिक समस्या नहीं बल्कि एक मानवीय समस्या है। उन्होंने कहा था कि हम हिंसा प्रभावित राज्य में शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि अगर अमेरिका से मदद मांगी गई तो हम हर तरह से तैयार हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा था कि हम जानते हैं कि ये भारत का आंतरिक मामाला है।
दो महीने से ज्यादा समय से हिंसा से जूझ रहा मणिपुर
बता दें कि मणिपुर पिछले दो महीने से अधिक समय से हिंसा की आग में जल रहा है। राज्य में 3 मई को उस वक्त हिंसा भड़की, जब राज्य के बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ अल्पसंख्यक कुकी समुदाय ने रैली निकाली।
रैली के दौरान मैतेई समुदाय पर हमले किए गए, जिसके बाद हिंसा भड़क गई। इसके बाद दोनों समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे पर हमला करना शुरू कर दिया। दोनों तरफ से हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।
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