TrendingVladimir PutinSwaraj Kaushalparliament winter session

---विज्ञापन---

देश में La Nina मचाएगा तबाही! मानसून में जमकर बरसेंगे बादल, जानें IMD का ताजा अपडेट

Monsoon Update : देश में भीषण गर्मी के बीच मौसम विभाग ने राहत भरी खबर दी है। मानसून किसी भी दिन दस्तक दे सकता है, लेकिन इस साल ला नीना तबाही मचाएगा। कई राज्यों में मानसून में जमकर बादल बरसेंगे, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

देश में जमकर होगी बारिश।
La Nina 2024 : देश में इस वक्त भीषण गर्मी से हाहाकार मचा हुआ है। आईएमडी ने बताया कि मौसम में जल्द ही बदलाव दिखेगा, क्योंकि ला नीना एक्टिव होने वाला है और अल नीनो खत्म हो रहा है। अल नीनो की वजह से सूखा और भीषण गर्मी पड़ती है, जबकि ला नीना के सक्रिय होने से सामान्य से अधिक बारिश होती है। इस बार देश में ला नीना जमकर तबाही मचाएगा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, देश में जून से लेकर सितंबर तक मानसून बरसेगा, क्योंकि इस दौरान ला नीना एक्टिव हो सकता है। आपको बता दें कि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो और ला नीना से मौसमी हलचलें होती हैं। जहां अल नीनो से तापमान में इजाफा होता है तो वहीं ला नीना से पारा में गिरावट आती है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिलती है। यह भी पढ़ें : हाय रे गर्मी! राजस्थान-हरियाणा में 51 दिल्ली में 50 डिग्री पारा, भट्टी बनी धरती, जानें कब मिलेगी लू से राहत? किसी भी दिन दस्तक दे सकता है मानसून आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून के किसी भी दिन आने की उम्मीद है। ला नीना की वजह से इस साल सामान्य से अधिक बारिश होने के आसार हैं। हालांकि, मानसून की बारिश को प्रभावित करने वाले कई और अन्य कारक हैं, लेकिन मुख्य कारक ला नीना ही है। इस सीजन में ला नीना के चलते अगस्त और सितंबर में अधिक वर्षा हो सकती है। यह भी पढ़ें : जून में जमकर बरसेगा मानसून, जानें कितनी होगी बारिश? IMD का ताजा अपडेट आया सामने जुलाई में एक्टिव हो जाएगा ला नीना ला नीना भारतीय मानसून के लिए अनुकूल माना जाता है। जुलाई में ला नीना पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा। दक्षिण प्रायद्वीपीय और मध्य भारत में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य वर्षा होगी। पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में जून-सितंबर में औसत से कम बारिश हो सकती है। भारी बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं हो सकती हैं।


Topics:

---विज्ञापन---