जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए कायराना नरसंहार के बाद केंद्र सरकार एक्शन मोड में है। इसी कड़ी में केंद्रीय कैबिनेट की एक अहम बैठक बुधवार को नई दिल्ली में हुई। कैबिनेट बैठक में पहलगाम हमले में जान गंवाने वालों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में बड़े फैसले लिए गए। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की यह पहली बैठक है।
'मोदी सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिया'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक निर्णय बताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, 'सामाजिक न्याय के लिए संकल्पित मोदी सरकार ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के नेतृत्व में आज हुई CCPA की बैठक में, आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का निर्णय लेकर सामाजिक समानता और हर वर्ग के अधिकारों के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता का संदेश दिया गया है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने दशकों तक सत्ता में रहते हुए जातिगत जनगणना का विरोध किया और विपक्ष में रहते हुए इस पर राजनीति की। इस निर्णय से आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े सभी वर्गों का सशक्तीकरण होगा, समावेशन को बढ़ावा मिलेगा और यह वंचितों की प्रगति के नए मार्ग प्रशस्त करेगा।'
केंद्र सरकार कराएगी जाति जनगणना
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को कैबिनेट मीटिंग में हुए फैसलों की जानकारी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया है, 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई है। कांग्रेस ने जाति जनगणना की जगह जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है। जाति की जनगणना मूल जनगणना में ही सम्मिलित होना चाहिए। पीएम मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने जाति की जनगणना को आने वाले जनगणना में सम्मिलित करने का फैसला लिया है।
'कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया'
राष्ट्रीय जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है। 2010 में दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए। इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की है। इसके बावजूद, कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना की जगह जाति सर्वे कराने का फैसला किया। यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण किए हैं। जबकि कुछ राज्यों ने यह अच्छा किया है, कुछ अन्य ने केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में संदेह पैदा किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से हमारा सामाजिक ताना-बाना खराब न हो, सर्वेक्षण के बजाय जाति गणना को जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।'
मेघालय और असम को जोड़ने वाली बड़ी परियोजना को मंजूरी
केंद्र सरकार ने मेघालय और असम को जोड़ने वाली एक बड़ी हाइवे परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के तहत शिलांग (मेघालय) से सिलचर (असम) के बीच एक नया हाइवे कॉरिडोर बनाया जाएगा। यह परियोजना उत्तर पूर्व भारत के लिए एक प्रमुख संपर्क मार्ग (कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट) होगी।
परियोजना के मुख्य बिंदु:
सिलचर मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और असम के बराक घाटी क्षेत्र को जोड़ने का प्रवेश बिंदु है।
गुवाहाटी-शिलांग-सिलचर मार्ग सबसे छोटा और यातायात के लिए पसंदीदा रास्ता है।
NH-6 को इस परियोजना के माध्यम से पूरे उत्तर-पूर्व के लिए प्रमुख संपर्क मार्ग बनाया जाएगा।
परियोजना का विवरण:
लंबाई: 166.8 किलोमीटर
लागत: ₹22,864 करोड़
ब्रिज और ढांचे
19 बड़े पुल
153 छोटे पुल
326 कल्वर्ट
22 अंडरपास
26 ओवरपास
34 वायाडक्ट (9 किलोमीटर)
निर्माण मोड: हाइब्रिड एन्युटी मोड
समझौता अवधि: 3 साल का निर्माण काल + 15 साल का संचालन काल
कॉरिडोर प्रकार: 4-लेन हाई स्पीड कॉरिडोर
उत्तर पूर्व भारत की कनेक्टिविटी होगी मजबूत
यह परियोजना उत्तर पूर्व भारत की कनेक्टिविटी को मजबूत करने और आर्थिक विकास को गति देने में अहम भूमिका निभाएगी।
गन्ना किसानों को राहत
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गन्ना किसानों को राहत देने का भी फैसला हुआ। केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘चीनी सीजन 2025-26 के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य 355 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। यह बेंचमार्क मूल्य है, जिसके नीचे गन्ना नहीं खरीदा जा सकता है।' यह कदम गन्ना किसानों को उचित लाभ और चीनी उद्योग में स्थायित्व प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय है।
CACP (कृषि लागत एवं मूल्य आयोग) ने गन्ने के लिए ₹355 प्रति क्विंटल FRP (उचित एवं लाभकारी मूल्य) की सिफारिश की है, जो 10.25% रिकवरी स्तर के आधार पर है।
रिकवरी दर में हर 0.1% की वृद्धि पर FRP में ₹3.46 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी होगी।
रिकवरी दर में हर 0.1% की कमी पर FRP में ₹3.46 प्रति क्विंटल की कटौती होगी, लेकिन यह कटौती 9.5% रिकवरी स्तर तक ही सीमित रहेगी।
यदि रिकवरी 9.5% या उससे कम होती है, तो FRP ₹329.05 प्रति क्विंटल होगा।
प्रस्तावित FRP, अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत ₹173 प्रति क्विंटल के मुकाबले 105.2% अधिक है।
2023-24 में किसानों को ₹1,11,701 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इस अवधि में कुल 3,190 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पिराई हुई, और चीनी उत्पादन 320 लाख मीट्रिक टन रहा।