बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राजनीतिक जड़ें अब कमजोर पड़ रही हैं. संसद हो या यूपी विधानसभा हर जगह बीएसपी का अस्तित्व ना के बराबर दिख रहा है. यूपी विधानसभा में बसपा का सिर्फ एक विधायक हैं और विधान परिषद में एक भी नहीं. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत पाई. राज्यसभा में बीएसपी के सिर्फ एक सांसद है, जिनका नाम है रामजी गौतम. उनका कार्यकाल 2026 में खत्म हो जाएगा. इसका मतलब है कि संसद में बसपा का एक भी सांसद नहीं बचेगा और वो संसद में जीरो पर आ जाएगी. बीएसपी प्रमुख मायावती चार बार यूपी की सीएम रही हैं, लेकिन अब हालात ये हैं कि अब विधानसभा में उनका एक ही विधायक है.
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10 सांसद होंगे राज्यसभा से रिटायर
25 नवंबर 2026 में यूपी के 10 सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इनमें से 8 सांसद बीजेपी के हैं, 1 सांसद समाजवादी पार्टी ओर 1 बीएसपी के हैं. बीजेपी के बृजलाल, सीमा द्विवेदी, चंद्रप्रभा उर्फ गीता, हरदीप सिंह पुरी, दिनेश शर्मा, नीरज शेखर, अरुण सिंह और बीएल वर्मा रिटायर होंगे. समाजवादी पार्टी से रामगोपाल यादव और बीएसपी से रामजी गौतम का कार्यकाल खत्म हो रहा है. मौजूदा हालात में बीएसपी राज्यसभा की एक भी सीट नहीं जीत पाएगी. बीएसपी के पास एक ही विधायक है, जिनके बलबूते राज्यसभा नहीं पहुंच सकती.
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2027 तक BSP को करना होगा इंतजार?
2026 में देश के जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, वहां भी मायावती की पार्टी का कोई खास वजूद नहीं है. अब बीएसपी के पास 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव का इंतजार करने के अलावा कोई चारा बाकी नहीं है. अगर विधानसभा चुनाव में बीएसपी 40 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई, तो ये इंतजार और लंबा हो जाएगा. पार्टी 2029 तक संसद में अपनी बात नहीं रख पाएगी और उसके बाद की भी कोई गारंटी नहीं है.
विधान परिषद में एक भी सदस्य नहीं
2024 से यूपी के विधान परिषद में मायावती की पार्टी का एक भी सदस्य नहीं है. विधान परिषद के इकलौते BSP सदस्य भीमराव अंबेडकर का कार्यकाल खत्म होने के बाद पार्टी कमबैक ही नहीं कर पाई. 1984 में कांशीराम ने BSP का गठन किया था. 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार पार्टी के 3 सांसद जीतकर संसद पहुंचे. जिनमें थीं मायावती, रामकिशन यादव और हरभजन लाखा. लेकिन अब जो हालात हैं वो पार्टी पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं.
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