Manipur Viral Video: मणिपुर में दो महिलाओं को बिना कपड़ों के सड़कों पर घुमाने वाले मुख्य आरोपी के घर में गुस्साई भीड़ ने आग लगा दी। मुख्य आरोपी का घर चेकमाई इलाके में है। महिलाओं वाले वीडियो के वायरल होने के बाद शुक्रवार को गुस्साई भीड़ अचानक मुख्य आरोपी के घऱ पहुंची। मुख्य आरोपी का नाम खुयरूम हेरादास है। हेरादास को पुलिस ने गुरुवार को थॉउबल जिले से गिरफ्तार किया था।
वायरल वीडियो में मणिपुर के कांगपोकपी जिले में दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में घुमाते हुए दिखाया गया है। पुलिस के मुताबिक, 3 मई को पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद ये घटना हुई थी। हालांकि, मामले का फुटेज बुधवार को सामने आया। वीडियो के वायरल होने के बाद ने देश भर में आक्रोश पैदा हो गया। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग होने लगी।
सीएम बोले- ये विरोध आरोपियों को सजा देने के लिए सरकार का समर्थन है
मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह का कहना है, "घटना को लेकर पूरे राज्य में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं। आरोपी नंबर एक, जिसे पहले गिरफ्तार किया गया था, कल उसके घर को महिलाओं ने जला दिया। मणिपुर समाज महिलाओं के खिलाफ अपराध के खिलाफ है। वे महिलाओं को अपनी मां मानते हैं। यह विरोध आरोपियों को सजा देने के लिए सरकार का समर्थन करने के लिए है।"
पीएम मोदी से लेकर CJI चंद्रचूड़ तक ने जताया रोष
वीडियो के सामने आने के बाद गुरुवार को पीएम मोदी से लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ तक ने रोष जताया। वहीं, वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मणिपुर पुलिस ने बुधवार रात को थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार घटना के संबंध में मुख्य आरोपी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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गुरुवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि घटना की गहन जांच चल रही है और संभावित मृत्युदंड सहित सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 150 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं।
दरअसल, मणिपुर में 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU) द्वारा मेइतेई/मीतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में आयोजित एक रैली के दौरान हिंसा हुई थी। 19 अप्रैल को मणिपुर उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य के मेइती समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में मार्च का आयोजन किया गया था।
मैतेई राज्य की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।