Manipur Violence Kuki Meitei Controversy Update: मणिपुर में इंटरनेट चालू हुए 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि फिर से हालात बिगड़ गए। दंगों, हिंसा और आगजनी की घटनाओं में करीब 13 लोगों की मौत हो गई, जिनके शव सोमवार दोपहर को बरामद हुए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार दोपहर टेंगनौपाल जिले में साइबोल के पास लेटिथु गांव में 2 गुटों के बीच फायरिंग हुई। इससे पहले की पुलिस मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करती, दोनों गुटों के लोग फरार हो चुके थे, लेकिन तब तक दोनों गुटों के 13 लोग मारे जा चुके थे। यह हिंसा तब भड़की, जब 7 महीने बाद ही प्रदेश में इंटरनेट बैन किया गया और ऐसा किए 24 घंटे भी नहीं बीते थे। इन हालातों ने एक बार फिर पुलिस, सुरक्षा बलों और सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
ST दर्जे को लेकर चल रहा विवाद
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लीथू गांव में मिले शवों के पास कोई हथियार नहीं मिले। न ही मृतकों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। दरअसल, मणिपुर में गत 3 मई से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच विवाद चल रहा है। दोनों गुट आरक्षण की मांग कर रहे हैं, जिसके चलते दोनों गुटों में जातीय संघर्ष हो रहा है। यह जातीय संघर्ष हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद शुरू हुआ। इस आदेश में कोर्ट ने मैतेई समुदाय को ST दर्जा देने का आदेश सरकार को दिया। इससे कुकी समुदाय भड़क गया और फिर दोनों गुट आमने-सामने हो गए। अब तक हुई जातीय हिंसा में करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं। 1100 घायल हुए। हालातों को देखते हुए सरकार ने प्रदेश में इंटरनेट बैन करा दिया। अब 7 महीने बाद इंटरनेट बहाल किया गया तो फिर हिंसा हो गई।
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हिंसा की जांच CBI से कराने की मांग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मैतेई समुदाय ताकतवर है। मणिपुर की कुल आबादी में से 53 फीसदी मैतेई समुदाय के लोग हैं और 40 फीसदी कुकी समुदाय है। कुकी समुदाय पहाड़ी इलाके में और मैतेई गुट के लोग इंफाल की घाटी में रहते हैं। वहीं कुकी ग्रुप मणिपुर में हुई हिंसा की CBI जांच कराने पर अड़ा है। इसके लिए लेकर गृह मंत्री अमित शाह को लेटर भी लिाा गया है। लेटर में इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने कुकी और मैतई समुदायों के बीच हुई हिंसा की जांच CBI से ही कराने की मांग की। ऐसे में एक बार फिर भड़की हिंसा ने विवाद को और बढ़ाव दे दिया है।