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मणिपुर वीडियो: पुलिस को कार्रवाई करने में क्यों लग गए दो महीने? थौबल के एसपी ने खुद दिया जवाब

Manipur Video: मणिपुर में चार मई को कांगपोकपी जिले में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न मामले में कार्रवाई करने में पुलिस को दो महीने से अधिक समय लग गया। पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर इतनी देरी क्यों? इस संबंध में थौबल के एसपी सचिदानंद ने एक मीडिया हाउस […]

महिलाओं को न्यूड परेड कराने का मुख्य आरोपी।
Manipur Video: मणिपुर में चार मई को कांगपोकपी जिले में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न मामले में कार्रवाई करने में पुलिस को दो महीने से अधिक समय लग गया। पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर इतनी देरी क्यों? इस संबंध में थौबल के एसपी सचिदानंद ने एक मीडिया हाउस को बताया कि सबूतों की कमी के कारण पुलिस की कार्रवाई में देरी हुई। बताया गया कि महिलाओं को न्यूड परेड कराने और एक के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में एफआईआर को संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने में एक महीने से अधिक समय लग गया, क्योंकि पीड़ित पक्ष कथित तौर पर अपने घरों से भाग गए थे और दूसरे जिले की पुलिस में शिकायत की थी। बुधवार को जब वीडियो सामने आया तो 24 घंटे के अंदर मुख्य आरोपी समेत चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मणिपुर पुलिस ने ट्वीट कर बताया कि थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पीएस के तहत अपहरण और सामूहिक बलात्कार के जघन्य अपराध के मुख्य आरोपी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।   और पढ़िए – मोबाइल वर्किंग का है भविष्य, जरूरत को समझें   एसपी ने बताया कि घटना वाले दिन नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन पर हथियार लूटने की कोशिश कर रहे लोगों ने भीड़ लगा दी थी। पुलिस थाने की सुरक्षा में व्यस्त थी। बता दें कि पीड़ितों में से एक ने पहले बताया था कि पुलिस उस भीड़ के साथ थी जो उनके गांव पर हमला कर रही थी। उन्होंने कहा, "पुलिस ने हमें घर के पास से उठाया, गांव से थोड़ी दूर ले गई और भीड़ के साथ सड़क पर छोड़ दिया।"

ग्राम प्रधान ने दी ये जानकारी

ग्राम प्रधान थांगबोई वैफेई के शिकायत पर मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्होंने बताया कि हजारों लोगों की भीड़ ने गांव में लूटपाट की थी। इस दौरान पीड़ित महिलाएं औ उनके दो पुरुष रिश्तेदार समेत अधिकतर लोग गांव छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए। 4 मई को जब महिलाओं और उनके पुरुष रिश्तेदारों पर आरोपियों ने हमला किया तो ग्राम प्रधान वैफेई ने स्थानीय पुलिस स्टेशन को बार-बार फोन किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि जब 3 मई को चुराचांदपुर में हिंसा की पहली घटना हुई, तो हमने स्थानीय पुलिस स्टेशन को सूचित किया और अधिकारी गांव आए। लेकिन 4 मई को, जब हमने उन्हें फोन किया, तो उन्होंने कहा कि वे नहीं आ पाएंगे क्योंकि पुलिस स्टेशन को बचाने की जरूरत है।

18 मई को दर्ज की गई थी जीरो एफआईआर

मामले में 18 मई को पहली बार जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे 21 जून को उचित पुलिस स्टेशन को भेज दिया गया था। एफआईआर में कहा गया कि पीड़ित परिवार को नोंगपोक समाई पुलिस स्टेशन की एक पुलिस टीम ने बचाया था। लेकिन भीड़ ने पुलिस को रोक लिया और पीड़ित परिवार को उनके कब्जे से छुड़ा लिया। बाद में कुछ मीडिया आउटलेट्स को दिए गए बयान में एक पीड़ित महिला ने कहा कि उन्हें पुलिस ने भीड़ को सौंप दिया था।

मणिपुर की राज्यपाल ने डीजीपी को दिए कार्रवाई के निर्देश

मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने वायरल वीडियो की कड़ी निंदा की और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इस जघन्य अपराध के अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज करने और कानून के अनुसार अनुकरणीय सजा देने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया। वहीं, मणिपुर में भयावह घटना पर देशव्यापी आक्रोश के बीच, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।


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