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मणिपुर में कुकी समुदाय NH-2 खोलने पर राजी, नॉर्थ-ईस्ट राज्यों को होगा फायदा

मणिपुर से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच कई सालों से चल रहे संघर्ष के बीच अच्छी खबर आ रही है। कुकी के कब्जे में NH-2 को खोलने के लिए कुकी समुदाय राजी हो गया है। गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

मणिपुर में एनएच 2 नाके बंदी हटाने पर राजी हुआ कुकी समुदाय।

मणिपुर से इस समय की बड़ी खबर आ रही है। कुकी समुदाय प्रदेश के लाइफ लाइन कहे जाने वाले NH-2 खोलने पर सहमत हुआ है। अब यह हाईवे यात्रियों और आवश्यक वस्तुओं के लिए खोल दिया जाएगा। अभी तक इसपर कुकी समुदाय ने नाकाबंदी कर रखी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। बता दें कि यह निर्णय पिछले कुछ दिनों में गृह मंत्रालय के अधिकारियों और कुकी-जो काउंसिल (केजेडसी) के प्रतिनिधिमंडल के बीच नई दिल्ली में हुई कई बैठकों के बाद लिया गया। मणिपुर में यह बड़ा फैसला माना जा रहा है।

कैडरों का होगा कठोर फिजिकल वैरिफिकेशन

गृह मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए बताया कि सेना के 7 शिविरों को कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट में संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्रों से दूर ट्रांसफर किया जा रहा है। शिविरों की संख्या कम करने और समुदायों के हथियारों को निकटतम सीआरपीएफ और बीएसएफ शिविरों में भेजने के लिए सुरक्षा बल कैडरों का कठोर फिजिकल वैरिफिकेशन करने की तैयारी है। ताकि विदेशी नागरिकों (यदि कोई हो) को सूची से हटाया जा सके।

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2023 से बंद था हाईवे

मणिपुर को नागालैंड और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए एनएच-2 को लाइफ लाइन माना जाता है। मई 2023 में राज्य में कुकी और मैतई के बीच भड़के जातीय तनाव के समय ही यह हाईवे बंद कर दिया गया था। हाईवे पर कुकी समुदाय नाका लगाने लगा था। अधिकारियों का मानना ​​है कि हाईवे खुलने से आवश्यक वस्तुओं की पहुंच आसान होगी। इससे विस्थापित परिवारों और राहत शिविरों में रह रहे नागरिकों की राहत मिलेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि भविष्य में उल्लंघनों से सख्ती से निपटा जाएगा।

1 साल के लिए हुआ समझौता

नई दिल्ली में गुरुवार को गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) के प्रतिनिधियों के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई। इसमें त्रिपक्षीय परिचालन निलंबन (एसओओ) समझौते पर हस्ताक्षर हुआ। इसके लिए पुनः बातचीत की गई शर्तों और नियमों (आधारभूत नियमों) को 1 साल की अवधि के लिए समझौता किया गया।

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