Manipur NDA government lift President rule: मणिपुर में सत्ता में वापसी के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की हाल में हुए राज्य की यात्रा, सक्रियता और केंद्र सरकार की लगातार निगरानी के बीच अब सरकार गठन को लेकर ठोस राजनीतिक गणित सामने आता दिख रहा है. सूत्रों के मुताबिक, 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में 44 एनडीए विधायक सरकार गठन के पक्ष में हैं. इस संख्याबल के आधार पर बहुमत का आंकड़ा पूरा होता नजर आ रहा है और बीजेपी राज्य में निर्वाचित सरकार की वापसी की तैयारी में जुट गई है.
गणतंत्र दिवस से पहले हटे राष्ट्रपति शासन
पार्टी का मानना है कि लंबे समय से जारी राजनीतिक और प्रशासनिक ठहराव को खत्म करने के लिए यह कदम जरूरी है. इसी कड़ी में 14 दिसंबर को मणिपुर के सभी बीजेपी विधायकों की दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में संगठन मंत्री के साथ अहम बैठक हुई. बैठक में सरकार गठन की संभावनाओं, संभावित मुख्यमंत्री चेहरे, सहयोगी दलों के साथ संतुलन, सामाजिक संदेश और आगे के रोडमैप पर विस्तार से चर्चा की गई. पार्टी नेतृत्व की मंशा है कि गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रपति शासन हटाकर राज्य में सरकार बहाल की जाए, ताकि मणिपुर में सामान्य स्थिति की ओर वापसी का संदेश दिया जा सके.
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सरकार गठन की यह राह पूरी तरह आसान नहीं
हालांकि, मणिपुर में सरकार गठन की यह राह पूरी तरह आसान नहीं है. बीते महीनों में मणिपुर की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार की सक्रियता बढ़ी है. कुकी समुदाय से जुड़े कुछ संगठन—खासकर कुकी ह्यूमन राइट काउंसिल और विलेज वॉलेंटियर्स कुकी जो गाम—अब भी अलग यूनियन टेरिटरी या ऑटोनॉमस एडमिनिस्ट्रेशन की मांग पर अड़े हुए हैं. इन संगठनों का मानना है कि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था में उनकी सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारों की गारंटी नहीं है.
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20 दिसंबर को विलेज वॉलेंटियर्स ऑफ ईस्टर्न जोन (कुकी जो गाम) ने एक पत्र जारी कर दिल्ली में मैतेई समुदाय के विधायकों के साथ कुकी विधायकों की बैठक पर चिंता जताई. संगठन ने कहा कि सरकार गठन की कोशिश कर रहे नेताओं को यह समझना होगा कि दोनों समुदाय भौगोलिक और राजनीतिक रूप से काफी हद तक अलग हो चुके हैं. ऐसे में कुकी समुदाय के लिए अलग यूनियन टेरिटरी की आवश्यकता है.
अलग प्रशासन की मांग के समर्थन में खुलकर सामने
राजनीतिक रूप से यह भी अहम है कि कुकी-जो समुदाय से जुड़े कुछ विधायक भी अलग प्रशासन की मांग के समर्थन में खुलकर सामने आ चुके हैं. इससे सरकार बनने के बाद उसकी स्थिरता और व्यापक स्वीकार्यता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. मौजूदा वक्त में 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में फिलहाल 59 विधायक हैं, क्योंकि एक सीट एक विधायक के निधन के चलते खाली है. संख्याबल के लिहाज से बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास कुल 44 विधायक हैं, जिनमें 32 मैतेई विधायक, तीन मणिपुरी मुस्लिम विधायक और नौ नागा विधायक शामिल हैं.
वहीं कांग्रेस के पास पांच विधायक हैं, जो सभी मैतेई समुदाय से आते हैं. इसके अलावा शेष 10 विधायक कुकी समुदाय के हैं—इनमें से सात ने पिछला विधानसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीता था, दो विधायक कुकी पीपुल्स अलायंस से हैं और एक विधायक निर्दलीय है.
संवाद और सहमति के रास्ते पर आगे बढ़ रही बात
केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केंद्र किसी भी तरह से मणिपुर के भीतर अलग स्वायत्त शासन या यूनियन टेरिटरी के पक्ष में नहीं है. फिलहाल सरकार संवाद और सहमति के रास्ते पर आगे बढ़ रही है. केंद्र को उम्मीद है कि बातचीत के जरिए कुकी-जो समुदाय के विधायक और संगठन नई सरकार के गठन के लिए तैयार हो जाएंगे और राजनीतिक समाधान का रास्ता निकलेगा.
संख्याबल के लिहाज से मणिपुर में सरकार गठन की स्थिति बन चुकी है, लेकिन असली चुनौती सामाजिक और राजनीतिक सहमति की है. कुकी-जो समुदाय को भरोसे में लेना, सुरक्षा की ठोस व्यवस्था करना और प्रशासनिक समाधान निकालना नई सरकार के सामने सबसे बड़ी कसौटी होगा. 26 जनवरी से पहले अगर सरकार बनती है, तो यह न सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया की बहाली होगी, बल्कि मणिपुर में शांति और स्थिरता की दिशा में एक अहम राजनीतिक संकेत भी माना जाएगा.