मणिपुर के मुख्यमंत्री ने हिंसा के पीछे विदेशी हाथ होने का दिया संकेत, बोले- ये पूर्व नियोजित लगता है
Manipur Violence: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन
बीरेन सिंह ने राज्य में जारी हिंसा में विदेशी हाथ होने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि जातीय हिंसा में बाहरी ताकतों या तत्वों का हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा कि ये पूर्व नियोजित लग रहा है। न्यूज एजेंसी ANI से इंटरव्यू में उन्होंने ये बातें कही।
मणिपुर के सीएम ने कहा कि राज्य की सीमा म्यांमार के साथ लगती है। चीन भी पास में है। हमारी 398 किलोमीटर की सीमाएं असुरक्षित हैं। हमारी सीमाओं पर सुरक्षा बल तैनात हैं लेकिन मजबूत और व्यापक सुरक्षा तैनाती भी इतने बड़े क्षेत्र को कवर नहीं कर सकती है। हालांकि, जो हो रहा है उसे देखते हुए हम न तो इनकार कर सकते हैं और न ही दृढ़ता से पुष्टि कर सकते हैं... यह पूर्व नियोजित लगता है लेकिन कारण स्पष्ट नहीं है।"
केंद्र और राज्य सरकार शांति बहाल करने में जुटीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार राज्य में शांति बहाल करने के लिए सभी प्रयास कर रही है। कुछ घंटे पहले, मैंने अपने कुकी भाइयों और बहनों से टेलीफोन पर बात की थी कि चलो माफ करें और भूल जाएं; सुलह करें और हमेशा की तरह एक साथ रहें...। हमारी प्राथमिकता मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना है।
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बीरेन सिंह बोले- मणिपुर को जातीय आधार पर विभाजित नहीं होने देंगे
एन बीरेन सिंह ने कहा कि हम एक हैं। मणिपुर एक छोटा राज्य है लेकिन हमारे पास 34 जनजातियां हैं। इन सभी 34 जनजातियों को एक साथ रहना होगा। हमें बस यह सावधान रहना होगा कि बाहर से बहुत से लोग यहा आकर न बस जाए। सीएम के रूप में मैं वादा करता हूं कि मैं मणिपुर को टूटने नहीं दूंगा और न ही राज्य में एक अलग प्रशासनिक प्राधिकरण होगा। सीएम ने कहा, "मैं सभी को एक साथ रखने के लिए बलिदान देने के लिए तैयार हूं।"
बोले- मैंने लोगों की वजह से इस्तीफा नहीं दिया
बीरेन सिंह ने कहा कि शुक्रवार को उनके आवास के बाहर एकत्र हुए लोगों के समर्थन को देखते हुए उन्होंने इस्तीफा देने के फैसले पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि एक नेता जनता के विश्वास के बिना नेता नहीं बन सकता। लोगों का समर्थन एक नेता बनाता है। मुझे अच्छा लग रहा है कि जब मैं (सीएम हाउस से) बाहर निकला, तो सड़कों पर भारी भीड़ थी। अगर वे मुझसे इस्तीफा देने के लिए कहते हैं, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा; अगर वे मुझे नहीं देने के लिए कहते हैं, तो मैं नहीं दूंगा।
बता दें कि मेतैई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) की ओर से आयोजित एक रैली के दौरान झड़प के बाद 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़की थी। राज्य में अब तक 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हैं।
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