Madras High Court on Insurance Company: सड़क दुर्घटनाएं आजकल काफी आम हो गई हैं। रोड एक्सीडेंट में कई बार लोगों की जान चली जाती है। ऐसे में अगर मृतक का लाइफ इंश्योरेंस हुआ है और बीमा कंपनी ने यह कहते हुए रकम देने से मना कर दिया कि एक्सीडेंट के समय चालक नशे में था तो क्या होगा? मद्रास हाईकोर्ट ने इसपर एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट का कहना है कि बेशक ड्राइवर नशे में हो, लेकिन बीमा कंपनियों के लिए पैसे देना अनिवार्य होगा।
हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एम धंधापानी ने केरल हाईकोर्ट के मोहम्मद राशिद केस पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर इंश्योरेंस के कागजातों में भी यह शर्त लिखी है कि नशे में गाड़ी चलाने पर बीमा नहीं मिलेगा। यह शर्त मान्य नहीं होगी। अगर चालक नशे में है तो भी बीमा कंपनियों को मुआवजा देना ही होगा।
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कितना देना होगा मुआवजा?
दरअसल 30 दिसंबर 2017 को राजेशकरण नामक शख्स की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। राजेश अपनी मोटरसाइकिल से जा रहे थे, तभी चेन्नई के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट ऑफिस के पास एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। परिवार ने 65 लाख के बीमा के लिए याचिका दायर की थी। ऐसे में अदालत ने परिवार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को 7.5% ब्याज दर के साथ 27,63,300 रुपए चुकाने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने क्या कहा?
मद्रास हाईकोर्ट ने सभी दावों को ध्यान में रखते हुए केरल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया। इस दौरान अदालत ने कहा कि नशे में हादसा होने पर भी इंश्योरेंस कंपनी मुआवजा देने के लिए बाध्य होंगी। मौत के समय राजेशकरण की मासिक आय 15,000 थी। इस हिसाब के इंश्योरेंस कंपनी ने बेहद कम मुआवजा दिया है। ऐसे में 7.5% की ब्याज दर लगाने के बाद 30,25,000 रुपए का मुआवजा देना होगा, जिसमें से कुछ राशि बीमा कंपनी दे चुकी है और बाकी के 27,63,300 रुपए परिवार वालों को देने होंगे।
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