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पशुपति पारस और चिराग पासवान में सुलह! एनडीए की बैठक में भतीजे ने छुए पैर तो चाचा ने गले लगाया

Bihar Politics: नई दिल्ली में मंगलवार को हुई एनडीए की बैठक के दौरान एलजेपी चीफ पशुपति पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान की मुलाकात ने सबका ध्यान खींचा। चाचा पशुपति कुमार पारस को देखते हुए उनके पैर छुए और फिर दोनों गले भी मिले। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चिराग और पशुपति पारस […]

Bihar Politics: नई दिल्ली में मंगलवार को हुई एनडीए की बैठक के दौरान एलजेपी चीफ पशुपति पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान की मुलाकात ने सबका ध्यान खींचा। चाचा पशुपति कुमार पारस को देखते हुए उनके पैर छुए और फिर दोनों गले भी मिले। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चिराग और पशुपति पारस में सुलह हो चुका है या फिर ये सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात थी। दिल्ली में एनडीए की बैठक से कुछ घंटे पहले ही चिराग पासवान ने दावा किया था कि उनकी पार्टी एलजेपी (रामविलास) बिहार के हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से 2024 में चुनाव लड़ेगी और वे खुद इस सीट से प्रत्याशी होंगे। बता दें कि इस सीट से वर्तमान में पशुपति पारस सांसद हैं, जिन्होंने चिराग के दावे के कुछ घंटे बाद ही कहा कि वे हाजीपुर लोकसभा सीट नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने चिराग को जमुई लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ने की नसीहत भी दी। यह भी पढ़ें: NDA Meeting: ‘हमने कभी नकारात्मक राजनीति नहीं की’, PM मोदी ने कसा विपक्ष पर तंज

भतीजे का तर्क और फिर चाचा का पलटवार

दूसरी ओर, चिराग पासवान ने तर्क दिया है कि हाजीपुर से उनके पिता रामविलास पासवान कई बार सांसद रहे हैं और इस लिहाज से ये उनकी सीट है। चिराग के दावे पर पलटवार करते हुए पशुपति कुमार पारस ने कहा, वे अपने बड़े भाई रामविलास पासवान के राजनीतिक उत्तराधिकारी थे और चिराग अपने पिता की केवल वित्तीय संपत्ति (संपत्ति) पर दावा कर सकते हैं।

चाचा-भतीजे के बीच क्या है लड़ाई?

दिवंगत रामविलास पासवान ने 28 नवंबर 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी यानी एलजेपी की स्थापना की। अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी पर किसका अधिकार हो, इसके लिए पशुपति पारस और चिराग पासवान में जंग छिड़ गई। मामला इतना बढ़ा कि दोनों चुनाव आयोग तक पहुंच गए। चुनाव आयोग ने 5 अक्टूबर 2021 को पार्टी को बांट दिया था। इसके बाद पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बनाए गए थे। उधर, 2017 में नीतीश कुमार जब महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापस आए थे, तब रामविलास पासवान असहज महसूस कर रहे थे, क्योंकि एलजेपी शुरू से ही नीतीश की नीतियों के विरोध में रही थी। चिराग कई बार आरोप लगा चुके हैं कि एनडीए में रहते हुए नीतीश कुमार एलजेपी को हराना चाहते थे। यह भी पढ़ें: Viral Video: ताजमहल देखने आए दिल्ली के टूरिस्ट की आगरा में पिटाई; CCTV फुटेज देख उड़ जाएंगे होश अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। इस दौरान भी नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा थे। इसी कारण चिराग पासवान एनडीए से अलग हो गए थे और कहा था कि नीतीश कुमार के एनडीए में रहते उनका वहां रहना संभव नहीं था।

चाचा-भतीजे की लड़ाई पर भाजपा का क्या है कहना?

पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच राजनीतिक लड़ाई पर भाजपा ने दोनों को एकजुट होकर लोक जनशक्ति पार्टी के तहत 2024 का चुनाव लड़ने की अपील की है। बता दें कि पिछले साल, पशुपति पारस ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथ अपनी पार्टी के विलय की संभावना को तब तक खारिज कर दिया था जब तक कि चिराग ने सार्वजनिक माफी नहीं मांगी। हालांकि, पशुपति पारस ने कहा था कि उन्हें चिराग पासवान के एनडीए में लौटने से कोई समस्या नहीं है। और पढ़िए – प्रदेश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें


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