Sedition Law: ‘देशद्रोह कानून जरूरी, सजा भी बढ़े…’, लॉ कमीशन ने कानून मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट, दिए कई सुझाव
Sedition law
Sedition Law: 152 साल पुराना देशद्रोह कानून खत्म होगा या नहीं, यह तो समय बताएगा। फिलहाल अंग्रेजों के जमाने के इस कानून का विधि आयोग ने समर्थन किया है। आगे भी इस कानून को बनाए रखने की सिफारिशें करते हुए आयोग ने कानून मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
आयोग ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124ए को बनाए रखने की आवश्यकता है। इसे हटाने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। आंतरिक सुरक्षा खतरों और देश के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए इसके प्रावधानों में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं।
विधि आयोग ने दिए ये सुझाव
- भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरे मौजूद हैं और नागरिकों की स्वतंत्रता तभी सुनिश्चित की जा सकती है जब देश की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इसलिए ये कानून आवश्यक है।
- देशद्रोह कानून में न्यूनतम तीन से सात साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया जाए।
- सोशल मीडिया की भारत के खिलाफ कट्टरता फैलाने और सरकार को नफरत की स्थिति में लाने में अहम भूमिका है। इसके लिए अक्सर विदेशी शक्तियों शामिल होती हैं। इसलिए और भी जरूरी है कि धारा 124ए लागू हो।
- आयोग ने यह भी कहा कि सिर्फ इसलिए कि कानून 'ब्रिटिशकाल' समय से है, यह इसके खत्म करने के लिए वैध आधार नहीं है।
- हर देश को वास्तविक परिस्थितियों से जूझना पड़ता है। राजद्रोह कानून को इसलिए निरस्त कर दिया जाए कि अन्य देशों ने कर दिया है, यह गलत होगा।
मानसून सत्र में लाया जा सकता है बिल
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2022 में देशद्रोह कानून को स्थगित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जब तक इस कानून की री-एग्जामिन प्रोसेस पूरी नहीं हो जाती है, तब तक इसके तहत कोई मामला नहीं दर्ज होगा। केंद्र सरकार ने एक जून को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि संसद के मानसून सत्र में बिल लाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मई को सुनवाई करने के बाद अगस्त के दूसरे हफ्ते में सुनवाई की तारीख दी है।
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