1971 War Hero Brig Shashikant Vasavada Last Wish: 1971 की जंग के हीरो ब्रिगेडियर शशिकांत वासवदा (रिटायर्ड) की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए उनकी बेटी ने 12 हजार किमी से अधिक दूरी तय की। वह अमेरिका के टेक्सास शहर से भारत पहुंची। कारगिल में उस मिट्टी को नमन किया, जहां उनके पिता ने जंग लड़ी थी। इसके बाद कारगिल की शिंदो नदी में पिता की अस्थियां प्रवाहित की। पिता शशिकांत ने इच्छा जताई थी कि भले ही उनका अंतिम संस्कार विदेश में हो, लेकिन अस्थियां उस मिट्टी में मिलनी चाहिए, जहां उन्होंने शौर्य गाथा लिखी थी। बेटी ने जब अस्थियों का पैकेट निकाला, तो वह रो पड़ीं। इस मार्मिक क्षण का वीडियो सामने आया है।
सैनिक कभी मरते नहीं
बेटी ने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि सैनिक कभी मरते नहीं हैं। समय बीतने के साथ सिर्फ उनकी ख्याति धूमिल हो जाती है। शशिकांत वासदा का 11 जुलाई 2023 को टेक्सास के सिबोलो में निधन हो गया था।
71 की जंग में सेकेंड इन कमांड थे वासवदा
स्वर्गीय शशिकांत वासवदा का जन्म एक जनवरी 1933 को भारत में हुआ था। रिटायरमेंट के बाद वे परिवार के साथ टेक्सास में जाकर बस गए थे। ब्रिगेडियर शशिकांत वासवदा ने 1971 की जंग में ऑपरेशन के दौरान 9 JAK LI के सेकंड इन कमांड थे। बाद में कमांडिंग ऑफिसर बनाए गए थे।
वासवदा 1971 के युद्ध के दौरान कारगिल टाउन की ओर देखने वाले रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पीटी 13620 पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन चलाने में सहायक थे। यह प्वाइंट हाल ही में भारतीय सेना: फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स, भारतीय सेना द्वारा पर्यटकों के लिए खोला गया था।
पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने किया था सरेंडर
1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। कहा जाता है कि पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में करीब 30 लाख लोगों का नरसंहार किया था। 14 दिन चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया था। इस युद्ध में भारतीय नौसेना ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था।
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