Ladakh Violence: लद्दाख के लेह में हुई हिंसा के कारण कई जगहों पर अभी भी कर्फ्यू जारी है. इस हिंसा के बाद एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस बीच लद्दाख के डीजीपी डॉ. एसडी सिंह जामवाल का भी बयान सामने आया है. उन्होंने 24 सितंबर को हुई हिंसा को लेकर जानकारी दी है.
डीजीपी सिंह ने कहा, 24 सिंतबर को यहां एक बहुत ही ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हुई. लद्दाख के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. कानून- व्यवस्था की स्थिति गई और बड़े पैमाने पर हिंसा, कई जगह तोड़फोड़ और आगजनी की भी घटनाएं घटीं. इन घटनाओं में चार लोगों की मौत हुई और बड़ी संख्या में नागरिक, पुलिस और अर्धसैनिकल बलों के जवान भी घायल हुए हैं.
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जवान की तोड़ दी रीढ़ की हड्डी- DGP
लद्दाख के डीजीपी डॉ. एसडी सिंह जामवाल ने कहा, 'सीआरपीएफ जवानों को बेरहमी से पीटा गया, एक जवान अभी भी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट के कारण अस्पताल में भर्ती है… 4 महिला पुलिसकर्मी उसी इमारत में थीं जब उसमें आग लगा दी गई… एक बड़ी भीड़ यहां आई और इस इमारत पर हमला किया… आत्मरक्षा में (सुरक्षा बलों द्वारा) गोलीबारी की गई और 4 दुर्भाग्यपूर्ण मौतें हुईं. पहले दिन 32 लोग गंभीर रूप से घायल हुए और उसके बाद कई और घायल हुए. मुझ पर भी हमला हुआ लेकिन मैं सौभाग्य से बच गया… गंभीर रूप से घायल कर्मियों में से 17 सीआरपीएफ के और 15 लद्दाख पुलिस के थे… बाद में यह संख्या बढ़कर 70-80 हो गई.
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So Called एक्टिविस्ट ने दिए थे भड़काऊ बयान- DGP
लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसडी सिंह जामवाल ने कहा कि भड़काऊ भाषण “तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ताओं” द्वारा दिए गए थे, जिसके कारण 24 सितंबर को केंद्र शासित प्रदेश में हिंसा हुई.
लद्दाख DGP ने सोनम वांगचुक पर लगाए गंभीर आरोप
लेह में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पुलिस अधिकारी ने कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर केंद्र के साथ वार्ता को पटरी से उतारने का आरोप लगाया और कहा कि पांच से छह हजार लोगों ने सरकारी भवनों और राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर हमला किया।
उन्होंने कहा कि लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से ही यहां छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा देने की राजनीतिक मांग उठ रही है. लेह अपेक्स बॉडी और केडीए ने सरकार के साथ लंबी चर्चा की है. यह एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन इस प्रक्रिया को विफल करने और बिगाड़ने के प्रयास भी किए जा रहे थे.
उन्होंने आगे कहा, एक तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ता और ऐसे ही अन्य समूहों, जिनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न है, ने इस मंच को हाईजैक करने का प्रयास किया. इसमें पहला नाम सोनम वांगचुक का है. उन्होंने पहले भी इस प्रक्रिया में बाधा ड़ालने बहुत कुछ कहा है.
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6000 लोगों ने किया था सरकारी इमारतों पर हमला
उन्होंने कहा, '24 सितंबर को लोगों का एक बड़ा समूह इकट्ठा हुआ. वहां असामाजिक तत्व मौजूद थे. 5000-6000 लोगों ने सरकारी इमारतों और राजनीतिक दलों के कार्यालयों को नुकसान पहुंचाया, पथराव किया. उन इमारतों में मौजूद हमारे अधिकारियों पर भी हमला किया गया. एक राजनीतिक दल के कार्यालय को जला दिया गया और सीआरपीएफ अधिकारियों के साथ मारपीट की गई. एक अधिकारी गंभीर रूप से घायल है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. तीन-चार महिला पुलिस अधिकारी भी इमारत में फंसी हुई थीं'.
डीजीपी जामवाल ने कहा कि पुलिस की गोलीबारी में चार नागरिक मारे गए. उन्होंने कहा, 'इतने बड़े हमले को रोकने के लिए गोलीबारी की गई जिसमें चार दुर्भाग्यपूर्ण मौतें हुईं. पहले दिन 32 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे; बाद में, हमें पता चला कि 70-80 सुरक्षा अधिकारी और इतनी ही संख्या में नागरिक घायल हुए थे. उनमें से सात की हालत गंभीर थी और एक महिला को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया.'
क्या घटना के पीछे हैं किसी विदेशी का हाथ?
घटना के पीछे किसी विदेशी का हाथ होने के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने एएनआई को बताया, 'जांच के दौरान, दो और लोगों को पकड़ा गया है. अगर वे किसी साजिश का हिस्सा हैं, तो मैं नहीं कह सकता. इस जगह पर नेपाली लोगों के मजदूरी करने का इतिहास रहा है, इसलिए हमें इसकी जांच करनी होगी'. डीजीपी ने आगे कहा, 'हमने दो फेज में कर्फ्यू में ढील देने की योजना बनाई है'.
इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिए गए क्लाईमेट एक्टिविस्ट कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है. शुक्रवार को लद्दाख में गिरफ्तारी के बाद उन्हें कल रात जोधपुर सेंट्रल जेल ले जाया गया.
कैसे भड़की हिंसा?
वांगचुक की गिरफ्तारी लेह में हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई है. 24 सितंबर को लेह में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, जिसके बाद इलाके में स्थित भाजपा कार्यालय में आग लगा दी गई थी. हिंसक विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत के दो दिन बाद, वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया था. जलवायु कार्यकर्ता पर "हिंसा भड़काने" का आरोप लगाया गया है. वांगचुक भूख हड़ताल पर थे, जो हिंसा शुरू होने के तुरंत बाद समाप्त हो गई.