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10 कानूनी अधिकार, जो हर भारतीय कर्मचारी को पता होने चाहिए

Public Private Sector Employees Rights: देश में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में लाखों लोग नौकरी करते हैं, जिनकी सुरक्षा का जिम्मा कंपनियों का होता है। वहीं कर्मचारियों को भी नियमों का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का वहन करना होता है, लेकिन कर्मचारियों को भारतीय सविंधान के तहत कुछ अधिकार दिए गए हैं, जिनके बारे […]

Rights of Employees
Public Private Sector Employees Rights: देश में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में लाखों लोग नौकरी करते हैं, जिनकी सुरक्षा का जिम्मा कंपनियों का होता है। वहीं कर्मचारियों को भी नियमों का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का वहन करना होता है, लेकिन कर्मचारियों को भारतीय सविंधान के तहत कुछ अधिकार दिए गए हैं, जिनके बारे में हर कर्मचारी को पता होना चाहिए। इनका इस्तेमाल करके वे अन्याय, पक्षपात और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं। आइए जानते हैं इन अधिकारों के बारे में...

समान काम के लिए समान वेतन

संविधान के तहत, कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार मिला है। इक्वल पेय एक्ट 2010 के अनुसार, पुरुष हो या महिला हर कर्मचारी को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाएगा। सैलरी देने में कंपनी लिंग, जाति, रंग, उम्र का भेदभाव नहीं कर सकती। ऐसा होने पर कर्मचारी शिकायत कर सकते हैं। यह भी पढ़ें: मौत के बाद भी जिंदा रहते बॉडी पार्ट्स, बचा सकते हैं 7 लोगों की जान, जानें अंगदान के बारे में सब कुछ

काम के घंटे तय करने का अधिकार

संविधान के अनुसार, कर्मचारी से एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 9 घंटे का काम लिया जा सकता है और 7 दिन में 48 घंटे कर्मचारी काम कर सकते हैं। चाहे वे दुकान में काम करें या किसी कंपनी में, काम के घंटे तय हैं। इस मामले में किसी तरह का भेदभाव मालिक नहीं कर सकते है। नोटिस देकर 7 दिन में काम करने के घंटे 48 से बढ़ाकर 54 किए जा सकते हैं, लेकिन 12 महीने में ओवरटाइम 150 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

छुट्टियां पाने का अधिकार भी है

संविधान के अनुसार, कर्मचारियों को कैजुअल लीव, मेडिकल लीव, प्रिवलेज्ड लीव लेने का अधिकार प्राप्त है। इन लीव के लिए कर्मचारी का वेतना नहीं काटा जा सकता। यह भी पढ़ें: घरेलू हिंसा, लिव इन में मारपीट…बेटियों को कानून के तहत क्या अधिकार मिले जानिए महिलाओं को मैटरनिटी लीव का अधिकार संविधान के तहत मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961 बनाकर लागू किया गया है। इस एक्ट के तहत महिला कर्मचारी 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव लेने की हकदार है। इस छुट्टी के लिए उसकी सैलरी नहीं काटी जाएगी। चाहे वह काम करे या न करे। यौन शोषण की खिलाफत करने का अधिकार देश में यौन उत्पीड़न (रोकथाम) कानून 2013 लागू है। अगर कार्यस्थल पर पुरुष या महिला का यौन शोषण होता है तो वे इसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। ऐसे मामलों के लिए कंपनियों, कार्यालयों, अस्पतालों, संस्थानों एवं प्रतिष्ठानों को एक कमेटी गठित करनी होगी, जो केस की जांच करेगी। यह भी पढ़ें: सुरक्षा और न्याय से जुड़े 10 अधिकार, जो हर भारतीय महिला को पता होने चाहिएं

कर्मचारी का बीमा कराना अनिवार्य

सविंधान के अनुसार, देश में इम्पलॉय स्टेट इंश्योरेंस एक्ट 1948 लागू है। इसके तहत कंपनियों, कार्यालयों, अस्पतालों, संस्थानों एवं प्रतिष्ठानों को कर्मचारी का बीमा कराना होगा। काम करते समय चोट लगने या अन्य कोई मेडिकल प्रॉब्लम होने पर इंश्योरेंस का लाभ लिया जा सकेगा।

​प्रोविडेंट फंड पाने का अधिकार

संविधान के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद प्रोविडेंट फंड पाने का अधिकार दिया गया है। यह सैलरी वाले कर्मचारियों को उपलब्ध कराया जाता है। कानून के तहत कंपनी को बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत PF देना होगा। इसके लिए कर्मचारियों को PF अकाउंट की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यह भी पढ़ें: क्या आप जानते हैं, वीजा 19 प्रकार के होते

हड़ताल करने का अधिकार है

संविधान के अनुसार, कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का अधिकार मिला है। वे बिना नोटिस दिए हड़ताल कर सकते हैं, लेकिन अगर कर्मचारी पब्लिक इम्पलॉय है तो उसे इंडस्ट्रियल डिस्पुट्स ऐक्ट 1947 के नियमों का पालन करना होगा। एक्ट के सेक्शन 22 (1) के तहत उसे हड़ताल पर जाने के लिए 6 हफ्ते पहले नोटिस देना होगा।

कंपनी से ग्रेच्युटी लेने का अधिकार

कानून के तहत, कंपनियों, कार्यालयों, अस्पतालों, संस्थानों, प्रतिष्ठानों को कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देनी होगी। इससे रिटायरमेंट, टर्मिनेशन या मौत होने की स्थिति में आर्थिक मदद मिलती है। अगर कर्मचारी ने 5 साल या उससे अधिक समय तक काम किया है तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ देना ही होगा। साइन्ड डॉक्यूमेंट अपने पास रखने का अधिकार कानून के तहत, कंपनी, कार्यालय, अस्पताल, संस्थान, प्रतिष्ठान के साथ जुड़ते समय जो कागजात साइन किए जाते हैं, या अन्य किसी तरह का समझौता होता है तो कर्मचारियों को वह साइन किए हुए कागजात अपने पास रखने का अधिकार है। यह अधिकार दोनों पक्षों को सुरक्षा का अहसास कराता है।


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