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वाजपेयी ने चौधरी चरण सिंह की जयंती को ही किसान दिवस के तौर पर क्यों चुना, जानिए कैसे बने अन्नदाताओं के मसीहा?

National Farmer's Day: 23 दिसंबर को दिवंगत प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर देशभर में किसान दिवस मनाया जा रहा है, जिसकी शुरुआत साल 2001 में हुई थी. देश में जगह-जगह पर कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. किसान दिवस क्यों मनाया जाता है और इसके क्या मायने हैं, पढ़िए इस रिपोर्ट में.

Credit: Social Media

Kisan Diwas: 23 दिसंबर यानि आज देशभर में किसान दिवस मनाया जा रहा है. किसानों का मसीहा कहे जाने वाले दिवंगत प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन के मौके पर हर साल किसान दिवस मनाया जाता है. चौधरी चरण सिंह का जीवन किसानों के लिए समर्पित था. आज भी किसान उनसे बेहद प्यार और सम्मान करते हैं. चौधरी चरण सिंह का कहना था कि जब तक किसान खुश ना हो, भारत में तब तक खुशहाली नहीं आ सकती. उन्होंने हर बार किसानों के हक में आवाज उठाई.

क्यों मनाया जाता है किसान दिवस?

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को यूपी के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में हुआ था, उन्होंने BSC और लॉ से ग्रेजुएशन किया था. चौधरी चरण सिंह ने 1970-1980 के बीच प्रधानमंत्री पद संभाला और किसानों के लिए बहुत कुछ किया. किसान दिवस की शुरुआत साल 2001 में हुई थी. किसानों के लिए आवाज उठाने वाले चौधरी चरण सिंह की जयंती को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार नेशनल फार्मर डे के तौर पर मनाने का फैसला लिया. ग्रामीण भारत की आवाज कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह का पूरा जीवन किसानों और ग्रामीण विकास को समर्पित रहा. उन्होंने देश की नीतियों में खेती और किसानों को तवज्जो दी. उनका कहना था कि किसानों को उपज के हिसाब से कीमत मिलनी चाहिए. यही वजह है कि किसान आज भी उन्हें अपना मसीहा मानते हैं.

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मेस में एक महीने तक नहीं मिला खाना

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह परिवारवाद और जातिवाद के सख्त खिलाफ थे. उन्हें कई बार जातिवाद की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पढ़ाई करते हुए कई बार उनका बहिष्कार हुआ. एक बार तो उन्हें पूरे एक महीने तक हॉस्टल की मेस में खाना भी नहीं मिला. इन सबके बावजूद भी चौधरी चरण सिंह ने अपनी पढ़ाई पूरी की और अपनी विचारधारा पर मजबूती से डटे रहे. उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही किसानों के हक के लिए आवाज उठाई.

किसान दिवस का क्या मकसद है?

दुनिया में भारत की अर्थव्यवस्था का चौथा स्थान है, जिसका सबसे बड़ा श्रेय किसानों को दिया जाता है.नेशनल फार्मर डे का मकसद भारत के किसानों के योगदान को सम्मान देना है. भारत सरकार लगातार ये कोशिश कर रही है कि वो उनके जीवन को बेहतर बना सके. किसान दिवस के मौके पर अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिनमें किसानों को आधुनिक तकनीकों और सरकार की योजनाओं के बारे में बताया जाता है. कार्यक्रम के जरिए किसान भी अपनी बात सरकार तक पहुंचा पाते हैं.

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