TrendingMaha Kumbh 2025Ranji TrophyIPL 2025Champions Trophy 2025WPL 2025mahashivratriDelhi New CM

---विज्ञापन---

Kisan Andolan: पहले से कैसे अलग है किसान आंदोलन ? लोकसभा चुनाव में कैसे होगा असर

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election) से ठीक पहले एक बार फिर किसानों ने आंदोलन (Kisan Aandolan) शुरू कर दिया है। दिल्ली की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। हरियाणा-पंजाब की सीमाएं सील करने के साथ कई जिलों में इंटरनेट बंद किया गया है। आइये जानते हैं अभी हो रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) पहले से कैसे अलग है।

किसान आंदोलन
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से ठीक पहले एक बार फिर किसानों ने अपनी कई मांगो के साथ 'दिल्ली चलो' के नारे को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है।  पंजाब हरियाणा के किसान 13 फरवरी को दिल्ली पहुंचने के लिए कूच कर रहे हैं। इस कारण दिल्ली की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। हरियाणा-पंजाब की सीमाएं सील करने के साथ कई जिलों में इंटरनेट बंद किया गया है। किसानों के प्रदर्शन का असर दिल्ली, पंजाब-हरियाणा से लेकर यूपी में हो रहा है। हालांकि, ये पिछले किसान आंदोनल से काफी हद तक अलग है। कानूनों का विरोध पिछला आंदोलन कानूनों के विरोध में था। किसानों ने तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर आंदोलन छेड़ा था, जो धीरे-धीरे काफी उग्र हो गया था। इसमें पंजाब, हरियाणा के सरकारों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। हालांकि, किसानों ने सरकार को झुका दिया और केंद्र ने कानून वापस ले लिया था। इस बार किसान मुख्य रूप से कर्ज माफी, बिजली बिल के साथ MSP की गारंटी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। किसान संगठनों का साथ अभी के आंदोलन में दावा किया जा रहा है कि 200 से अधिक किसान संगठन साथ-साथ हैं। हालांकि, अभी देशभर में इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है। ऑल इंडिया किसान सभा ने अभी इससे दूरी बनाकर रखी है। इस कारण अभी इस आंदोलन का असर हरियाणा-पंजाब-दिल्ली की सीमाओं के साथ उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। हो सकता है क‍ि आंदोलन के ख‍िंंचने पर इसमें और लोग जुड़ें और इसका असर व्यापक हो। ये भी पढ़ें: चौधरी चरण सिंह, MS स्वामीनाथन को भारत रत्न के बीच क्यों आंदोलित हैं किसान? कानून बनाने की मांग पिछले किसान आंदोलन को देखा जाए तो वो मुख्य रूप से किसान कानून यानी तीन कृषि सुधार कानूने की खिलाफत में था। लेकिन, इस बार का आंदोलन कई मांगों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी यानी इसपर कानून की मांग पर है। चुनाव में क्या होगा असर अगले कुछ महीनों में देश में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि किसान केंद्र सरकार पर दबाव डालने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि चुनाव से पहले सरकार झुकेगी और उनकी मांगों को माना जाएगा। लेकिन, सरकार ने मांग मानने और समझौता करने में देरी की तो पूरी संभावना है कि आंदोलन लंबा खिंंचे । अगर ऐसा होता है तो धीरे-धीरे आंदोलन राष्ट्रव्यापी हो जाएगा और चुनावों में भाजपा को तगड़ा नुकसान होगा. क्योंकि, आचार संहिता के बाद सरकार के पास, करने को कुछ खास नहीं रहेगा। ये भी पढ़ें: सरकार के खिलाफ फिर हुंकार भरेंगे किसान, राकेश टिकैत का क्या है प्लान?


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.