Kerala 500 Crores Fraud Case: दक्षिण भारत के राज्य केरल में 500 करोड़ की ठगी का मामला सामने आया है। कॉरपोरेट सेक्टर को चूना लगाने वाला मास्टरमाइंड 26 साल का अनंथु कृष्णा है। इस मामले में हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज और प्रमुख गैर सरकारी संगठन (NGO) के कार्यकारी निदेशक समेत कई प्रमुख हस्तियां आरोपी हैं, जो कन्फेडरेशन का हिस्सा थे। आरोपी अनंथु ने एक एनजीओ कन्फेडरेशन बनाया था, जिसने लोगों को आधी कीमत पर स्कूटर, लैपटॉप और दूसरे घरेलू उपकरण देने का वादा किया था। पुलिस के मुताबिक योजना के लिए हजारों लोगों ने आवेदन कर भुगतान किया था। इस एनजीओ के नेशनल कोऑर्डिनेटर अनंथु कृष्णा की पिछले सप्ताह हुई गिरफ्तारी के बाद करोड़ों की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ था।
170 एनजीओ को साथ में मिलाया
सूत्रों के मुताबिक 2022 में 170 स्थानीय NGO को मिलाकर NGO कन्फेडरेशन बनाया गया था। योजना के अनुसार NGO के माध्यम से कॉरपोरेट कंपनियों से संपर्क कर लोगों को आधी कीमत पर घरेलू उपकरण मुहैया करवाने की बात कही गई थी। बाद में लोगों को पता लगा कि उनके साथ ठगी की गई है। इसके बाद कई शिकायतें एर्नाकुलम ग्रामीण पुलिस को कृष्णा के खिलाफ मिली थीं। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद केरल के कई थानों में पीड़ितों ने ठगी की शिकायतें देकर और भी गंभीर आरोप लगाए थे। महिलाओं की तादाद इनमें ज्यादा थी।
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पुलिस ने जांच की तो घोटाले में एक रिटायर्ड जज और NGO के बड़े सीईओ की भूमिका सामने आई। मीडिया के सामने आरोपी कृष्णा ने स्वीकार किया था कि उसने राजनेताओं को भी लाभ पहुंचाया है। लगभग 30 हजार लोगों के साथ ठगी की गई। आरोपी ने ठगी का पैसा 24 खातों में जमा किया था, जो अलग-अलग बैंकों में खुलवाए गए थे। व्यक्तिगत तौर पर, NGO और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर लोगों के साथ फ्रॉड किया गया। एर्नाकुलम ग्रामीण पुलिस के सूत्रों के मुताबिक अभी तक पुलिस लगभग 100 मामले दर्ज कर चुकी है। प्राथमिक जांच में 60 करोड़ के घोटाले की पुष्टि हो चुकी है। अभी जांच जारी है, घोटाला 400-500 करोड़ का हो सकता है।
सभी शिकायतों की पुष्टि होने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। आरोपियों ने लोगों को 120000 का स्कूटर 60 हजार में और 60 हजार का लैपटॉप 30 हजार में देने का झांसा दिया था। घरेलू उपकरणों के लिए भी ऐसी ही छूट का ऐलान किया गया था। MRP को CSR फंड से पूरा करने का वादा किया गया था। आवेदकों के लिए 500 रुपये पंजीकरण फीस रखी गई थी। शुरुआत में कुछ आवेदकों को आधी कीमत पर उपकरण दिए भी गए थे। यह सब लोगों का विश्वास जीतने और अन्य को आकर्षित करने के लिए किया गया था।
दुकानदारों से लिया था कमीशन
शुरुआती उत्पादों की बाजार कीमत विभिन्न आवेदकों से वसूली गई राशि से पूरी की गई थी। कृष्णा ने स्कूटर और गैजेट्स की खरीद के लिए दुकानदारों से कमीशन भी लिया था। गैजेट्स के वितरण के लिए बड़े-बड़े आयोजन करवाए गए थे, जिनमें पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को अतिथि के तौर पर बुलाया जाता था। आरोपी कृष्णा मशहूर हस्तियों के साथ अपनी तस्वीरें जारी करता था। बाद में एकदम उत्पाद देने के कार्यक्रम बंद हो गए, जिसके बाद लोगों ने ठगी की शिकायतें करनी शुरू कर दीं। कई आवेदकों को कृष्णा ने पैसे वापस कर मना भी लिया, लेकिन पुलिस को शिकायतें मिलती रहीं। एनजीओ ने कई लोकल NGO से संपर्क कर रखा था, जिनको ब्लॉक स्तर पर काम करना होता था। इसके लिए कई लोगों की ड्यूटी लगाई गई थी। राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी मुहिम से जोड़ा गया था।
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IUML विधायक नजीब कंथापुरम ने अपने एनजीओ मुद्रा चैरिटेबल फाउंडेशन के माध्यम से लोगों में बांटने के लिए लैपटॉप के लिए आवेदन किया था। लोगों को जब लैपटॉप नहीं मिले तो उनके खिलाफ भी शिकायत दर्ज करवाई गई थी। कंथापुरम ने आरोप लगाया था कि आरोपी कृष्णा ने उनके फाउंडेशन के जरिए लोगों से 1.80 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं। वे खुद इस रैकेट का शिकार हुए हैं। शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने इस NGO के एक समारोह का उद्घाटन किया था, जिसके बाद वे भी इसके प्रति आकर्षित हो गए।
ठगी के बाद खरीदी जमीन
कंथापुरम ने कहा था कि वे अपनी राशि को वापस पाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। कृष्णा ग्रेजुएट है, जिसने कई NGO अपने गांव में चला रखे हैं। कुदयाथूर पंचायत के सदस्य सीएस श्रीजीत के अनुसार आरोपी काफी शातिर है, वह सरदार पटेल और अब्दुल कलाम के नाम पर दो एनजीओ चला रहा था। दोनों के कार्यालय कुदयाथूर में हैं। उसके पिता कारपेंटर और मां राज्य नागरिक आपूर्ति निगम में काम करती है। NGO शुरू करने के बाद आरोपी लग्जरी लाइफ जीने लगा था। उसने गांव में काफी जमीन खरीदी है। वह महंगी कारों में घूमता था, आरोपी अपने गांव में भी स्कूटर और लैपटॉप बांट चुका है। गांव के कई लोगों ने उसके खिलाफ शिकायतें दी हैं।