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Kargil Vijay Diwas: अमेरिका नहीं मुश्किल वक्त में इस देश ने की थी कारगिल युद्ध में भारत की मदद

Kargil Vijay Diwas: 1999 में भारत-पाकिस्तान के कारगिल युद्ध हुआ था। इस युद्ध में भारत ने अपने साहस और रणनीति से जीत हासिल की थी। मगर क्या आप जानते हैं इस मुश्किल वक्त में अंतरराष्ट्रीय समर्थन के रूप में किस देश ने सबसे ज्यादा भारत की मदद की थी। आइए जानते हैं इस बारे में।

Kargil Vijay Diwas: हर साल 26 जुलाई को कारगिल दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत और पाकिस्तान के बीच हुई चौथी जंग में भारत ने पाकिस्तानियों को नेस्तेनाबूत कर दिया था। इस जंग में भारत की सेना और वायु सेना ने ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सागर जैसी योजनाओं के जरिए जीत हासिल की थी। कारगिल वॉर 3 महीने तक चलने वाली जंग थी जिसमें भारत के 527 सैनिक भी शहीद हुए। मगर फिर भी भारत ने जंग जीत ली थी। जब भी दो देशों के बीच वॉर होती है तो उस समय हमेशा अन्य देशों की सहायता ली जाती है। भारत की मदद के लिए भी अमेरिका, इजरायल और रूस जैसे देश आगे आए थे, मगर मुश्किल समय में जिस देश ने भारत की मदद की थी, वह कौन सा देश था?

अमेरिका की भूमिका?

कारगिल युद्ध में अमेरिका ने सैन्य सहायता नहीं दी थी लेकिन हथियारों और राजनयिक समर्थन दिया था। कूटनीतिक तरीकों से अमेरिका ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया था ताकि वे LOC से अपनी सेना को पीछे हटा लें। इस दौरान उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुलाकात भी अमेरिका में हुई थी। अमेरिका ने स्पष्ट कहा था कि वे घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानियों का किसी भी तरह का समर्थन नहीं देगा और LOC की स्थिति को बदलने से भी मना किया था। ये भी पढ़ें-Kargil Vijay Diwas: बर्फ का फायदा उठाकर करता था घुसपैठ, ऐसी थी पाकिस्तान की कारगिल जंग में प्लानिंग, कैप्टन याशिका ने बताया

इजरायल बना साथी

युद्ध के दौरान जब भारत ने अमेरिका से जीपीएस वाले हथियारों की मांग की थी तो उन्होंने इन्हें देने से इनकार कर दिया था। जी हां, कैप्टन याशिका त्यागी बताती हैं कि मुश्किल घड़ी में अमेरिका ने हमें बम तो दिए लेकिन उनके डिफ्यूजिंग सिस्टम नहीं दिए। ऐसे में हमारी मदद के लिए इजरायल आगे आया। कैप्टन याशिका कहती हैं कि इजरायल हमेशा से एक अच्छे दोस्त की तरह आया और उसने हमारी जंग के समय जुगाड़ों के जरिए मदद की। अमेरिकी हथियारों के डिफ्यूजिंग सिस्टम के ना होने से उन्हें भी उसके इस्तेमाल के बारे में समझ नहीं आ रहा था, लेकिन कोशिश और जुगाड़ करके हमने जंग को जीत लिया।

कैसे की थी मदद?

दरअसल, इजरायल ने एयरफोर्स के मिराज-2000 लड़ाकू विमान के लिए लेजर-गाइडेड बम दिए थे। ये बम ऊंचाई पर स्थित पाकिस्तानी बंकरों पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम थे। इन बंकरों को सामान्य हथियारों से तबाह करना मुश्किल था। टाइगर हिल और तोलोलिंग की पहाड़ियों जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में इन बमों की मदद ली गई थी। कारगिल वॉर में इजरायल ने रियल-टाइम सैटेलाइट इमेजरी और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सुविधा दी थी, जिसकी मदद से भारतीय सेना को पाकिस्तानी सैनिकों की गतिविधियों और ठिकानों की सही लोकेशन मिलती थी। यहीं नहीं, इजरायल ने लड़ाई के समय हमें मोर्टार, गोला-बारूद और अन्य मिलिट्री इक्यूपमेंट्स भी प्रोवाइड किए थे। यह सहायता उस समय पर बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि भारत के पास संसाधन पर्याप्त नहीं थे।

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का प्रतीक

कारगिल की जंग सिर्फ देश की सैन्य शक्ति का प्रतीक नहीं थी बल्कि यह हमारे अंतरराष्ट्रीय संबंधों की भी परीक्षा थी। अमेरिका ने जहां हमारी कूटनीतिक रूप से सहायता कर पाकिस्तान पर दबाव डाला तो वहीं इजरायल ने मुश्किल समय में हथियारों, तकनीकों और खुफिया मदद से भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। ये भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas: मिग-27 ने किया था टाइगर हिल और तोलोलिंग पर हमला, ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ ने ऐसे दिलाई थी कारगिल को जीत


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