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घोटाले में फंसे, कांग्रेस से निकाले गए…कौन थे नटवर सिंह? जिनकी ऑटोबायोग्राफी पर हुआ था खूब बवाल

Who Is K Natwar Singh: कांग्रेस के दिग्गज नेता, सांसद और गांधी परिवार के करीबी रहे के नटवर सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने लंबी बीमारी से जूझने के बाद आखिरी सांस ली। आइए उनके बारे में जानते हैं...

K Natwar Singh With Manmohan Singh
K Natwar Singh Profile: देश के पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का देहांत हो गया है। उन्होंने सोमवार देररात आखिरी सांस ली। वे 93 साल के थे और लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। वे पिछले कुछ हफ्तों से गुरुग्राम में मेदांता अस्पताल में भर्ती थे, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। आज दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका पूरा परिवार और रिश्तेदार दिल्ली में जुटना शुरू हो गया है। नटवर सिंह गांधी परिवार के करीबी थे। वे कांग्रेस सांसद रहे और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA-I सरकार में विदेश मंत्री थे। उन्होंने साल मई 2004 से दिसंबर 2005 तक बतौर विदेश मंत्री कार्य किया, लेकिन तेल के बदले अनाज घोटाले के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। नटवर सिंह पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हैं। 1966 से 1971 तक उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विशेष सहायक बनकर काम किया।  

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ें, IFS ऑफिसर बने

के. नटवर सिंह का पूरा नाम कुंवर नटवर सिंह था। वे 16 मई 1931 को राजस्थान के भरतपुर जिले में रहने वाले शाही परिवार में हुआ था। उन्होंने ग्वालियर के सिंधिया स्कूल और अजमेर के मेयो कॉलेज से पढ़ाई की। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री ली। नटवर सिंह रिश्ते में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के जीजा लगते हैं। 1953 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) का हिस्सा बने। चीन, न्यूयार्क, पोलैंड, इंग्लैंड, पाकिस्तान, जमैका, जांबिया आदि देशों में भारत के लिए काम किया। पाकिस्तान, अमेरिका और अमेरिका में बतौर भारतीय राजदूत काम किया। यह भी पढ़ें:गुड न्यूज! CAA की एक अड़चन दूर की गई; जानें क्या थी आवेदकों की मांग और कैसे किया गया बदलाव?

नौकरी छोड़ राजनीति में आए और जॉइन की कांग्रेस

30 साल की नौकरी के बाद नटवर सिंह ने साल 1984 में IFS के पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए। उन्होंने कांग्रेस जॉइन की। कांग्रेस की टिकट से लोकसभा चुनाव जीतकर भरतपुर से सांसद बने और उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया। 2004 में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया, लेकिन 2005 में घोटाले में फंसने से उन्हें पद गंवाना पड़ा। उन्होंने खुद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। साल 1984 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण अवार्ड देकर सम्मानित किया। इनकी ऑटोबायोग्राफी 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' पर खूब बवाल हुआ था। इसमें किए गए एक खुलासे ने भारतीय सियासत में खलबली मचा दी थी। इस विवाद के बाद उन्होंने साल 2008 में कांग्रेस छोड़ दी थी। हालांकि चर्चा यह भी है कि विवाद के चलते उन्हें कांग्रेस से निकाला गया था। यह भी पढ़ें:Arshad Nadeem की मां ने नीरज चोपड़ा के लिए कही ऐसी बात, गर्व महसूस करेंगे भारतीय


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