K Kavitha Hunger Strike: केंद्र सरकार पर महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने का दबाव बनाने के लिए तेलंगाना CM की बेटी आज भूख हड़ताल पर हैं। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की MLC के कविता शुक्रवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विपक्षी नेताओं के साथ पहुंचीं।
कविता ने भूख हड़ताल शुरू करने से पहले कहा था कि भूख हड़ताल उनके एनजीओ भारत जागृति की ओर से आयोजित की जाएगी, जिसमें शामिल होने के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है। बता दें कि कविता के भूख हड़ताल (K Kavitha Hunger Strike) के समर्थन में उनके साथ आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, माकपा और शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट समेत अन्य पार्टियों के नेता जंतर-मंतर पहुंचे।
के कविता ने कहा कि जिस तरह से पूरी दुनिया का विकास हो रहा है अगर उसी तेजी से हिंदुस्तान का भी विकास होना है तो महिलाओं को राजनीतिक क्षेत्र में भी भागीदारी मिलनी चाहिए और इस क्षेत्र में भागीदारी मिलने के लिए महिला आक्षरण बिल को लाना बहुत जरूरी है। ये बिल 27 साल से लंबित है। उन्होंने कहा कि जब तक ये बिल नहीं आएगा तब तक हम आंदोलन करते रहेंगे।
येचुरी बोले- हम संसद के बाहर सभी समर्थन जुटाएंगे
सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी को जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों से बात करते देखा गया। येचुरी ने कहा कि हम सरकार से महिला आरक्षण विधेयक पेश करने की अपील करते हैं। हम संसद के बाहर सभी समर्थन जुटाएंगे। विधेयक को पारित करने की मांग करते हुए येचुरी ने कहा, "यह राज्यसभा में तब पारित हुआ था जब मैं सांसद था, इस विधेयक को पारित करने की जरूरत है।"
दिल्ली शराब नीति मामले में ईडी की जांच का सामना कर रही कविता ने पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि बिल 2010 से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है और मोदी सरकार के पास 2024 से पहले इसे संसद में पारित कराने का ऐतिहासिक अवसर है।
जंतर मंतर पर कविता के धरने में शामिल पार्टियां
जंतर मंतर पर बीआरएस नेता के धरने के दौरान निम्नलिखित दल और राजनीतिक नेता मौजूद हैं -
बीआरएस
आप- संजय सिंह और चित्रा सरवारा
शिवसेना का प्रतिनिधिमंडल
अकाली दल - नरेश गुजराल
पीडीपी- अंजुम जावेद मिर्जा
नेकां - शमी फिरदौस
टीएमसी - सुष्मिता देव
जदयू - केसी त्यागी
एनसीपी- सीमा मलिक
भाकपा - नारायण के
सीपीएम - सीताराम येचुरी
समाजवादी पार्टी - पूजा शुक्ला
रालोद - श्याम रजक
कपिल सिब्बल
प्रशांत भूषण
महिला आरक्षण विधेयक पर कविता का रुख
बता दें कि महिला आरक्षण बिल महिलाओं के लिए लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रयास करता है। इस बिल को मई 2008 में राज्यसभा में पेश किया गया था और एक स्थायी समिति को भेजा गया था। 2010 में इसे सदन में पारित किया गया था और अंततः लोकसभा को भेजा गया था लेकिन ये बिल 15वीं लोकसभा में लैप्स हो गया।
कविता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वादा किया था कि उनकी सरकार इस विधेयक को लाएगी और यह भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र का भी हिस्सा था। उन्होंने कहा कि भाजपा के किसी भी नेता ने इस मुद्दे को नहीं उठाया और मोदी सरकार बहुमत होने के बावजूद संसद में इस विधेयक को पारित कराने में विफल रही है।
के कविता ने कहा कि ये एक बहुत ही दुखद मुद्दा है। महिलाओं को पुरुषों के बराबरी पर लेकर ही दुनिया आगे बढ़ रही है, लेकिन दुर्भाग्य से भारत में ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि मैं पीएम, सभी राजनीतिक नेताओं और विशेष रूप से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से आग्रह करना चाहती हूं और भारत सरकार से अनुरोध करना चाहती हूं कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले संसद के दो सत्र होने हैं और ऐसे में केंद्र सरकार के पास इस बिल को पास कराने का अवसर है।
महिला प्रतिनिधित्व के मामले में भारत 148वें स्थान पर: कविता
कविता ने कहा कि महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत 193 देशों में 148वें स्थान पर है। संसद में 543 में से केवल 78 महिला सदस्य हैं, जो कि 14.4 प्रतिशत है। दुर्भाग्य से, यह वैश्विक औसत से बहुत कम है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी पाकिस्तान में महिलाओं के लिए 17 फीसदी आरक्षण है और बांग्लादेश में उनका प्रतिनिधित्व भारत से ज्यादा है।