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भारत के IT-Tech सेक्टर में मुश्किल हुए हालात, नौकरी ढूंढ रहे केवल 45 प्रतिशत लोग ही काबिल

Job Issue in Indian IT-Tech Industry : भारतीय आईटी और टेक सेक्टर में नौकरी तलाश रहे फ्रेशर्स के लिए हालात मुश्किल होते दिख रहे हैं। कंपनियां भर्तियां करने में सख्त इवैल्युएशन मैकेनिज्म अपना रही हैं। पढ़िए इसे लेकर क्या कहती है एक ताजा रिपोर्ट...

Representative Image (Pixabay)
Job Issue in Indian IT-Tech Industry : भारत के IT (इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी) सेक्टर में नौकरी ढूंढ रहे लोगों को लेकर एक रिपोर्ट में निराश करने वाली जानकारी सामने आई है। मंगलवार को सामने आई इस रिपोर्ट के अनुसार आईटी और टेक सेक्टर में नौकरी ढूंढ रहे केवल 45 प्रतिशत स्नातक ही जॉब पाने के योग्य हैं। इसके अलावा वित्त वर्ष 2024 में 1.55 लाख फ्रेशर्स की भर्ती होने की उम्मीद है। वहीं, वित्त वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 2.3 लाख था। यह बात टीमलीज डिजिटल (TeamLease Digital) की रिपोर्ट में कही गई है। इसके अनुसार आईटी इंडस्ट्री वित्त वर्ष 2023-34 में 10 प्रतिशत ग्रेजुएट्स की हायरिंग करने वाली है। इस समय लगभग 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट सक्रिय रूप से आईटी या टेक के क्षेत्र में नौकरी की तलाश कर रहे हैं। लेकिन क्षेत्र की मांगों और कठिन हुए स्किल इवैल्युएशन मैकेनिज्म ने स्थिति को बहुत गंभीर बना दिया है।

गैर आईटी सेक्टर में बढ़ी एंट्री लेवल हायरिंग

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय बड़ी आईटी कंपनियां जहां फ्रेशर्स को नौकरी देने से परहेज कर रही हैं वहीं, दूसरे सेक्टर्स में इनकी डिमांड खासी बढ़ रही है। इसके मुताबिक ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) और मीडिया, कम्युनिकेशन व टेक्नोलॉजी, रिटेल व कंज्यूमर बिजनेस, लाइफ साइंसेज व हेल्थकेयर, इंजीनियरिंग रिसर्च व डेवलपमेंट और एनर्जी व रिसोर्सेज जैसे सेक्टर्स में एंट्री लेवल हायरिंग बढ़ी है।

सरकारी पहलों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण

टीमलीज डिजिटल के बिजनेस हेड कृष्णा विज का कहना है कि अगर इंडस्ट्री, शिक्षण संस्थानों और सरकार मिलकर प्रयास करें तो एक यूनाइटेड फ्रंट बनाया जा सकता है। इससे ऐसे प्रोग्राम तैयार किए जा सकते हैं जो नौकरी प्रधान हों। उन्होंने कहा कि बाजार में जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए सरकारी पहलें स्किल डेवलपमेंट और रिसर्च प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

हार्ड और सॉफ्ट स्किल का कॉम्बो बना मांग

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अब नौकरी देने में कंपनियां आवेदकों में सॉफ्ट और हार्ड स्किल्स का कॉम्बिनेशन ढूंढ रही हैं। सॉफ्ट स्किल्स में कम्युनिकेशन, प्रॉब्लम सॉल्विंग, टीमवर्क व इमोशनल इंटेलिजेंस जैसे फैक्टर आते हैं। जबकि हार्ड स्किल्स में प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस में टेक्निकल प्रोफिशिएंसी, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट मेथडोलॉजी, क्लाउड कंप्यूटिंग और डाटा एनालिटिक्स जैसे स्किल शुमार किए जाते हैं। ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट में नौकरी का मौका, 80 हजार सैलरी ये भी पढ़ें: DRDO व नेवी समेत कई जगह हो रहीं भर्तियां ये भी पढ़ें: बिना कॉलेज गए भी मिलती है सरकारी नौकरी ये भी पढ़ें: जॉब इंटरव्यू के लिए ऐसे बनाएं पोर्टफोलियो


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