जम्मू कश्मीर में क्यों बढ़ रहे हैं आतंकी हमले? घाटी को टेरर फ्री बनाने के लिए ये है सेना का प्लान
आतंकियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाते सेना के जवान।
Jammu Kashmir Terrorist Attacks: (पवन मिश्रा) हर साल जुलाई का महीना जैसे ही शुरू होता है, आतंकी घुसपैठ की घटना सामने आने लगती है। आतंकी खराब मौसम का फायदा उठाकर भारत की सीमा में प्रवेश करते हैं और गड़बड़ी फैलाने की कोशिश में लग जाते हैं। हालांकि इंडियन आर्मी आतंकियों के मंसूबे को कभी भी कामयाब नहीं होने देती। आतंकियों के हमले का जवाब देने के बदले उन्हें शहीद भी होना पड़ रहा है।
डोडा आतंकी हमला
ताजा मामला डोडा जिले का है, जहां आतंकियों ने मुठभेड़ में दो सैनिकों को घायल कर दिया है। भारतीय सेना इलाके में तलाशी अभियान कर रही थी। इस दौरान 15 जुलाई 2024 को ही आतंकियो ने सेना पर हमला बोल दिया था। इस हमले में 4 जवान और एक कैप्टेन शहीद हो गए। इतना ही आतंकियो ने जुलाई महीने में भारतीय सेना पर एक के बाद एक ताबड़तोड़ हमले किए। डोडा से पहले कठुआ में भी आतंकियों ने नॉन स्टॉप फायरिंग करके 5 सैनिकों पर हमला कर दिया था, जिसके बाद भारतीय सेना के शूरवीर शहीद हो गए थे।
रियासी आतंकी हमला
अगर आतंकी हमले के आकड़ों की बात करें तो दुश्मन देश पाकिस्तान की हिमाकत ऐसी कि उसने आतंकियो की घुसपैठ करवा कर ठीक उसी दिन आम लोगों पर गोलियां बरसाईं, जिस दिन राष्ट्पति भवन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ ले रहे थे। सेना से मिली जानकारी के मुताबिक इस हमले में 9 तीर्थ यात्रियों की मौत हो गई थी। वहीं 42 लोग घायल हो गए थे।
आतंकी घटनाएं और पाकिस्तान फैक्टर
भारतीय सेना आतंकी संगठन जैश ए मोहमद को खत्म मानकर चल रही थी। अचानक से उसका जिन्न प्रकट हो गया है। कठुआ और डोडा में हुए आतंकी हमले का कबूलनामा कश्मीर टाइगर्स और पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट ने लिया है। ये दोनों संगठन जैश ए मोहम्मद के इशारों पर काम करते है। आतंकी संगठनों ने इस बार जो प्लान किया उसके मुताबिक हमले की रूपरेखा पूरी तरह से बदल गई है। भारतीय सुरक्षा एजेंसी ने इस घटना के बाद दावे के साथ कहा है कि इन सभी आतंकी घटनाओं के पीछे पाकिस्तान का हाथ है।
घाटी में कैसे बढ़ा आतंकवाद?
मेजर जनरल राजन कोचर के मुताबिक, कश्मीर के कुछ इलाके की बनावट इस तरह की है, जिसका फायदा उठाने में आतंकी कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। इन्हीं इलाकों में आतंकी अपने संगठनों को मजबूत करते हैं। खासतौर पर जैश- ए- मोहम्मद और लश्करे तैयबा ने पिछले दो दशकों में डोडा, किश्तवार, पुंछ, रजौरी, रियासी और कठुआ जैसे इलाकों में ओवर ग्राउंड वर्करों का नेटवर्क खड़ा कर दिया है। इसी नेटवर्क के जरिए आतंकी सीमा पार से आकर जम्मू-कश्मीर में हमलों को अंजाम दे रहे हैं। मेजर जनरल एसके सिंह के मुताबिक जब से जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म हुआ है,उसके बाद से पाकिस्तान पूरी तरह से बौखला गया है।
सेना ने बनाएं तीन प्लान
आर्मी सूत्रों ने न्यूज़ 24 को जानकारी देते हुए कहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। ताकि आम जनता के दिमाग में यह बैठ जाये कि आतंकियो की फिर से घाटी में वापसी हो गई है। हालांकि इंडियन आर्मी ने भी अपनी पूरी कमर कस ली है। आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने के लिए इंडियन आर्मी ने तीन तरह का प्लान तैयार किया है। पहले प्लान के तहत आतंकियों की लगातार ट्रैकिंग की जा रही है। दूसरे प्लान के अंतर्गत लोकल लोगों की मदद से संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है। तीसरे प्लान के तहत जिन इलाकों में सबसे ज्यादा आतंकी घुसपैठ की जा रही है, उन इलाकों की अब ड्रोन से निगरानी की जा रही है।
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