Jammu Kashmir Limestone Mines Auction: जम्मू-कश्मीर अब अपना और देश का खजाना भरेगा. देश को 2047 का विकसित भारत बनाने में योगदान देगा. जी हां, जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार ने दुर्लभ खनिज पदार्थ चूना पत्थर की खदानों की नीलामी करने का फैसला किया है. इससे जहां प्रदेश के लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं जम्मू-कश्मीर के लघु उद्योग विकसित होंगे. जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ देश की भी आय होगी और आर्थिक विकास भी होगा.
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1957 के एक्ट के तहत हो रही नीलामी
बता दें कि हाई क्वालिटी वाले खनिज पदार्थ चूना पत्थर की नीलामी माइंस एंड मिनरल्स डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन (MDMR) एक्ट 1957 की धारा 11 की उपधारा (4) और (5) के तहत नीलामी हो रही है. वहीं यह नीलमी जम्मू-कश्मीर के इतिहास में खनन क्षेत्र में पहली और आज तक की सबसे बड़ी नीलामी होगी. नीलामी कार्यक्रम का नेतृत्व केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी करेंगे, जिसमें जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी भी मौजूद रहेंगे.
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3 जिलों की 7 खदानों की नीलामी होगी
बता दें कि चूना पत्थर सीमेंट, निर्माण कार्य और अन्य औद्योगिक कार्यों में इस्तेमाल होता है, जिसकी 7 खदानों की नीलामी होनी है, जो अनंतनाग, राजौरी और पुंछ जिलों में हैं. यह खदानें करीब 314 हेक्टेयर एरिया में फैली हुई हैं. वहीं खदानों को G3 और G4 कैटेगरी में बांटा गया है, जिनका मतलब है कि कुछ खदानों में चूना पत्थर होने की रेकी की गई है और कुछ खदानों में चूना पत्थर खोजने का काम जारी है. नीलामी पूरी तरह से ऑनलाइन होगी, जिसकी निगरानी खुद मुख्यमंत्री करेंगे.
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सीमेंट कंपनियों के लिए चूना पत्थर का भंडार
बता दें कि जम्मू-कश्मीर देश के सबसे बड़े और हाई क्वालिटी वाले चूना पत्थर भंडारों का इलाका है. चूना पत्थर में CaCO₃ (कैल्शियम कार्बोनेट) की 90 प्रतिशत से ज्यादा मात्रा है, जो सीमेंट बनाने में इस्तेमाल होती है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर की खदानों से देश की कई बड़ी सीमेंट कंपनियों को चूना पत्थर मिलता है. पुलवामा की ख्रेव खदान से हांगकांग माइनिंग कंपनी को चूना पत्थर मिलता है. ख्रेव और रियासी खदानों से जेके सीमेंट, सीमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को कच्चा मिलता है.
इनके अलावा अल्ट्राटेक कंपनी भी यहीं से चूना पत्थर खरीदती है. जम्मू-कश्मीर में चूना पत्थर की सबसे बड़ी खदान पुलवामा की ख्रेव खदान है, जिसके चलते ख्रेव को सीमेंट सिटी ऑफ कश्मीर भी कहते हैं.