(पंकज शर्मा)
रामबन में कुदरत की तबाही की शुरुआत 19 तारीख की रात 1 बजे से ही हो गई। 2 बजे बारिश का विकराल रूप देखने को मिला और 3:30 बजे सुबह 14 किलोमीटर तक का पूरा इलाका मलबे में तब्दील हो गया। मंजर इतना भयानक था कि सुबह सूरज की पहली किरण के बाद से ही लोग रोते-चिल्लाते आसपास के इलाकों में मदद के लिए पहुंचे। हर तरफ ताश के पत्तों की तरह घर, गाड़ियां बहते देख हर कोई सिर्फ यही कह रहा था कि बारिश अब रुक जाए, लेकिन न बारिश रुकी न मलबे को जेसीबी हटा पाई। जितनी बार जेसीबी मलबे को हटाने का काम कर सड़क को साफ करने की कोशिश कर रही थी, उतनी बार बारिश काम को रोक दे रही थी।
लोगों ने रो-रोकर सुनाई आपबीती
न्यूज24 के कैमरे पर लोगों ने रो-रोकर अपना दुख बयां किया। यही नहीं, लोगों के हाथ में बर्तनों में चावल और मलबा एक साथ देख किसी की आंखों में आंसू आ जाएंगे। यहां पर लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था। लोगों की हालत कुछ समझने की रही ही नहीं कि चंद घंटों की बारिश ने सब कुछ तहस-नहस कैसे कर दिया। इस त्रासदी को देख कश्मीर घूमने आए लोग भी सहम चुके थे। पहाड़ियों से बारिश के पानी के साथ इतना मलबा और पत्थर कहां से आए? इस बात को कोई समझ ही नहीं पा रहा था। रेस्टोरेंट, दुकानें, घर, झुग्गियां, सड़कें, गलियां कुछ भी नहीं बचा। सब कुदरत की तरफ से आई इस आपदा में सिमट गया।
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अभी भी फंसे हैं लोग
जम्मू-कश्मीर हाईवे पर रामबन जिले में छोटी और बड़ी गाड़ियां मिलाकर करीब 720 गाड़ियां फंसी हुई हैं और भारी तादाद में यात्री फंसे हैं। इस तबाही के बाद का मंजर ऐसा है कि सिर्फ स्थानीय लोग इसकी चपेट में नहीं आए। देशभर से घूमने आए लोग, जो कश्मीर से जम्मू और जम्मू से कश्मीर जाने वाले थे, इस त्रासदी की चपेट में आए। नेशनल हाइवे पर हर तरफ फंसी गाड़ियों की लाइन दिख रही है, जहां पर लोगों को खाने-पीने को भी कुछ नहीं मिल रहा है। वहीं, सेना और प्रशासन ने जगह-जगह पर लंगर लगाए हैं, जिसमें पर्यटकों और स्थानीय सफर करने वाले लोगों की मदद मिल सके। मौसम को देखते हुए सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। अब तक इसमें 3 लोगों की मौत की जानकारी सामने आई है।
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