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Jalore Case: दलित छात्र की मौत पर मायावती का ट्वीट, राजस्थान में कर दी राष्ट्रपति शासन की मांग

Jalore Case: राजस्थान के जालोर जिले में टीचर की पिटाई से दलित बच्चे की मौत के मामले में आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को इस मामले में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक के एक बाद लगातार दो ट्वीट किए। इनमें उन्होंने घटना की घोर […]

Jalore Case: राजस्थान के जालोर जिले में टीचर की पिटाई से दलित बच्चे की मौत के मामले में आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को इस मामले में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक के एक बाद लगातार दो ट्वीट किए। इनमें उन्होंने घटना की घोर निंदा करते हुए राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। आपको बता दें कि रविवार को प्रशासन और पीड़ित पक्ष के लोगों में भी झड़प हो गई।

घटना की निंदा करते हुए किए दो ट्वीट

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दो ट्वीट किए। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'राजस्थान के जालौर जिले के सुराणा में प्राइवेट स्कूल के 9 साल के दलित छात्र द्वारा प्यास लगने पर मटके से पानी पीने पर सवर्ण जाति के जातिवादी सोच के शिक्षक ने उसे इतनी बेरहमी से पीटा कि कल उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इस हृदय विदारक घटना की जितनी निन्दा व भर्त्सना की जाए वह कम।' इसके बाद दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, ' राजस्थान में आए दिन ऐसी जातिवादी दर्दनाक घटनाएं होती रहती हैं। इससे स्पष्ट है कि सरकार वहां खासकर दलितों, आदिवासियों व उपेक्षितों आदि के जान व इज्जत-आबरू की सुरक्षा करने में नाकाम है। अतः इस सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाये तो बेहतर।'

ये है पूरा मामला

राजस्थान के जालोर जिले के सुराणा में 20 जुलाई को तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र इंद्र मेघवाल को प्यास लगी थी। स्कूल में उसने पानी का मटका छू लिया था, जिस पर टीचर छैल सिंह ने उसे पीट दिया। आरोप है कि टीचर ने बच्चे की इतनी पिटाई लगा दी कि वह गंभीर रूप से घायल हो गया। आनन-फानन में बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 13 अगस्त को उसकी मौत हो गई। अस्पताल में भर्ती बच्चे का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। बच्चे की मौत के बाद परिजनों समेत अन्य लोगों में आक्रोश फैल गया। प्रशासन के अधिकारी पीड़ित परिवार वालों से बातचीत करने के लिए गांव पहुंचे थे। कई सामाजिक संगठन भी पीड़ित परिवार के साथ खड़े हो गए हैं। इस कारण सामाजित संगठनों-परिजनों की प्रशासन से झड़प भी हो गई।


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