INSV Kaundinya Explainer: भारतीय नौसेना के पास एक से एक विशालकाय, मजबूत, खतरनाक हथियारों से लैस समुद्र जहाज और युद्धपोत हैं. INS कैटेगरी के युद्धपोत हैं, जो समुद्र की लहरों पर थिरकते हैं तो गूंज सुनकर ही दुश्मन थर्र-थर्र कांपने लगते हैं, लेकिन भारतीय नौसेना को पास एक ऐसा जहाज भी है, जो दुनिया के किसी देश के पास नहीं है. वहीं अब भारतीय नौसेना ने इस जहाज को समुद्र की लहरों पर उतार दिया है, जिसे अब पूरी दुनिया देखेगी और इसके बारे में जानना चाहेगी.
5वीं सदी के जहाजों की तर्ज पर बना
बात हो रही है, गुजरात के पोरबंदर से ओमान के मस्कट की यात्रा के लिए रवाना हुए INSC कौंडिन्या की, जो 5वीं सदी के जहाजों की तर्ज पर बनाया गया है और जिसका डिजाइन अंजता की गुफाओं में शामिल गुफा नंबर 17 में बनी 5वीं सदी की चित्रकारी से लिया गया है. यह दुनिया का पहला जहाज है, जिसमें न इंजन है, न स्टील-एल्युमीनियम लगा है. न इसमें कोई कील ठोकी गई है और न ही कोई स्क्रू लगाया गया है. बल्कि लकड़ी की तख्तियों को नारियल की रस्सियों से सीलकर बनाया गया है.
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2025 में लॉन्च और 2021 में कमीशन
सिलाई करने की पारंपरिक तकनीक से बनाए गए इस जहाज में पतवार लगी है और इसे चप्पुओं से चलाया जाता है. फरवरी 2025 में इसे लॉन्च किया गया था और 21 मई 2025 को कारवार पोर्ट से इसे नौसेना में कमीशन किया गया था. यह जहाज युद्धपोत नहीं है और असल में इसे जहाज भी नहीं, नौका कहेंगे जो पालों से स्पीड लेगी और जिसे हवा समुद्र की लहरों पर आगे बढ़ने के लिए पुश करेगी. प्राचीन भारतीय व्यापार मार्गों को फिर से जीवंत करने के लिए इसे समुद्री यात्रा पर भेजा गया है.
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प्रधानमंत्री मोदी ने दी यात्रा की बधाई
बता दें कि भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने ओमान के राजदूत की मौजूदगी में इस जहाज को यात्रा पर रवाना किया. इसमें 15 लोगों का क्रू है, जिसका नेतृत्व नौसेना कमांडर विकास शोरेन कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने X हैंडल पर जहाज की तस्वीरें पोस्ट करके कैप्शन लिखा कि यह देखकर बेहद खुशी हुई कि प्राचीन भारतीय सिलाई-जहाज तकनीक से बना INSV कौंडिन्या भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं का प्रतीक है. इस अनोखे जहाज को साकार रूप देने के लिए डिजाइनरों, कारीगरों, जहाज निर्माताओं और भारतीय नौसेना को हार्दिक बधाई देता हूं. चालक दल को मेरी शुभकामनाएं, उनकी यात्रा सुरक्षित और यादगार रहे.
केरल के कारीगरों ने बनाया जहाज
बता दें कि इस जहाज को केरल के पारंपरिक कारीगरों ने साकार रूप दिया है और कारीगरों की टीम का नेतृत्व मास्टर शिपराइट बाबू संकरन ने किया. IIT मद्रास ने इस जहाज की हाइड्रोडायनामिक टेस्टिंग की. जहाज की लंबाई करीब 19.6 मीटर और चौड़ाई 6.5 मीटर. इसकी एक पाल पर गंडभेरुंड और सूर्य का चिह्न अंकित है, वहीं दूसरी पाल पर धनुष पर सिंह याली की मूर्ति बनी हुई है. इसके डेक पर हड़प्पा शैली के पत्थर का लंगर डाला गया है. इसका नाम उस मशहूर भारतीय नाविक कौंडिन्या के नाम पर रखा गया है, जिसने पहली शताब्दी में ऐसी ही एक नाव में भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया तक का सफर तय किया था.