भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 में 23622 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर बढ़ा है। इसमें 2023-24 से अधिक 12.04 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' सपने को साकार करता दिख रहा है। रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात भी रिकॉर्ड 21083 करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो एक दशक में 30 गुना बढ़ा है। भारत 100 से ज्यादा देशों को रक्षा उपकरण सप्लाई करता है। निजी क्षेत्र की बात करें तो 15233 करोड़ रुपये के निर्यात का आंकड़ा रिकॉर्ड किया गया है। वित्त वर्ष 2023-24 का रक्षा निर्यात 2539 करोड़ रुपये था, जिसमें अब 12.04 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
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रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ने वित्त वर्ष 2024-25 में अपने निर्यात में 42.85 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। भारत अब वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनने के लिए 2029 तक रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये का टारगेट लेकर चल रहा है। साथ ही इसका लक्ष्य 2029 तक रक्षा निर्यात को 50 हजार करोड़ रुपये तक बढ़ाना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा बजट में 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपये से 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपये तक की वृद्धि इस बात को दर्शाती है कि सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर फोकस किया गया है।
65 फीसदी रक्षा उपकरणों का निर्माण
एडवांस मिलिट्री प्लेटफॉर्म विकसित करने से रक्षा उत्पादन में बढ़ोतरी को बल मिला है, जिसमें धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, तेजस, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर, आकाश मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। इसके अलावा स्वदेशी विमान वाहक, पनडुब्बी, फ्रिगेट और गश्ती जहाजों जैसे नेवल एसेट भी इसका हिस्सा हैं। रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया गया है कि अब देश में ही 65 फीसदी रक्षा उपकरण बनाए जाते हैं।
प्राइवेट सेक्टर का 21 फीसदी योगदान
पहले 65-70 फीसदी उपकरण विदेशों से खरीदे जाते थे। भारत के मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार में 16 डीपीएसयू, 430 से ज्यादा लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और करीब 16000 MSMEs शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल रक्षा उत्पादन में प्राइवेट सेक्टर का योगदान 21 फीसदी है। भारत के रक्षा निर्यात में साल दर साल 32.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारत के एक्सपोर्ट पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (Do-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज इंटरसेप्टर बोट और हल्के टॉरपीडो शामिल हैं। भारत अब 100 से ज्यादा देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जिसमें 2023-24 में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया शीर्ष खरीदार बनकर उभरे हैं।
50 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा
रक्षा मंत्रालय की ओर से 2018 में शुरू किए गए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) के जरिए एक शानदार इकोसिस्टम भी तैयार हुआ है। iDEX को नई तकनीक के विकास के लिए 1.5 करोड़ रुपये की ग्रांट दी गई है। रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को और बढ़ाने के लिए iDEX को 449.62 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी हितधारकों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2029 तक रक्षा निर्यात बढ़ाने के लक्ष्य को 50000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
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