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भारत को जल्द मिलेगा स्वदेशी वेब ब्राउजर, अश्विनी वैष्णव ने विजेताओं का किया ऐलान

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने भारतीय वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज लॉन्च किया था। दरअसल, भारतीय वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज एक ओपन चैलेंज प्रतियोगिता थी। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य देश के लिए स्वदेशी वेब ब्राउजर तैयार करवाना था। स्वदेशी वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज के तहत देश भर के टेक्नोलॉजी जानकारों, इनोवेटर्स और डेवलपर्स को इनवाइट किया गया था।

केंद्रिय मंत्री अश्विनी वैष्णव।
भारत का अब अपना स्वदेशी वेब ब्राउजर होगा, जो पूरी तरह से डाटा सुरक्षा और गोपनीयता के मानकों का पालन करेगा। गौरतलब है कि वर्तमान में इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए सबसे ज्यादा गूगल के वेब ब्राउजर क्रोम का इस्तेमाल किया जाता है। गूगल एक अमेरिकी कंपनी है। ऐसे में भारत अपना खुद का वेब ब्राउजर लाने की योजना पर काम कर रहा है।

वेब ब्राउजर चैलेंज के विजेताओं की घोषणा

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को 'वेब ब्राउजर चैलेंज' के विजेताओं की घोषणा की। इस प्रतियोगिता में कुल 58 लोगों ने एंट्री ली थीं, जिनमें से 3 विजेताओं को चुना गया है।

वेब ब्राउजर चैलेंज के विजेता

'वेब ब्राउजर चैलेंज' के तीन विजेताओं में पहला स्थान टीम Zoho को मिला है। टीम Zoho को पुरस्कार के रूप में 1 करोड़ रुपये की राशि दी गई है, जबकि दूसरा स्थान टीम Ping ने हासिल किया है। टीम Ping को पुरस्कार के रूप में 75 लाख रुपये मिले हैं। वहीं, इस चैलेंज में तीसरे स्थान पर टीम Ajna रही, जिसे 50 लाख रुपये का पुरस्कार मिला।

टियर-2 और टियर-3 के विजेताओं ने मारी बाजी

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि विजेताओं का चयन टियर-2 और टियर-3 शहरों से हुआ, जो भारत के डिजिटल क्षेत्र में बढ़ती प्रतिभा को दर्शाता है।

भारत को अपने वेब ब्राउजर की जरूरत क्यों?

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारत का आईटी सेक्टर 282 बिलियन डॉलर से अधिक का है, लेकिन अब तक इसका मुख्य फोकस सेवाओं पर था। अब सरकार भारत को एक 'प्रोडक्ट नेशन' बनाने पर ध्यान दे रही है, जहां स्वदेशी सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स विकसित किए जाएं।


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