मीडिया पार्टनर्स एशिया (MPA), आईपी हाउस और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की एक संयुक्त रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो डिजिटल पायरेसी के कारण भारत के ऑनलाइन वीडियो क्षेत्र को 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (240 करोड़ रुपये) के राजस्व का नुकसान 2029 तक झेलना होगा। इसके अलावा 158 मिलियन (15.8 करोड़) यूजर्स को भी नुकसान झेलना होगा। ANI की रिपोर्ट के अनुसार रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि भारत में डिजिटल पायरेसी का स्तर पहले से ही खतरनाक है।
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2024 की ही बात करें तो अकेले 90 मिलियन (9 करोड़) यूजर्स ने पायरेटेड वीडियो सामग्री तक पहुंच बनाई है। इसके कारण 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (102 करोड़ रुपये) के राजस्व का नुकसान हो चुका है। यह राशि देश में कानूनी वीडियो उद्योग के लगभग 10 फीसदी के बराबर है। इसके अलावा रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि यदि पायरेसी अनियंत्रित रूप से जारी रहती है तो 2029 तक अवैध सामग्री तक पहुंचने वाले यूजर्स की संख्या में बड़ा इजाफा होगा। इससे संचयी घाटा 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है और वैध डिजिटल वीडियो उद्योग के विकास को रोक सकता है।
सुधार की आवश्यकता
रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि इस क्षेत्र में एंटी पायरेसी उपाय किए जाने की जरूरत है। अगर सुधार किए जाएं तो 2029 तक 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (101 करोड़ रुपये) का राजस्व हासिल किया जा सकता है। इसके अलावा सामग्री निर्माण में 0.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (50 करोड़ रुपये) का नया निवेश किया जा सकता है। इसके अलावा 47000 नई नौकरियां जेनरेट की जा सकती हैं।
158000 रोजगार पैदा होंगे
अगर सुधार पर जोर दिया जाए 71 मिलियन (7.1 करोड़) नए यूजर्स डिजिटल सेक्टर से जोड़े जा सकते हैं। रिपोर्ट में आगे जिक्र किया गया है कि एंटी-पायरेसी कार्रवाई से 2025 और 2029 के बीच 158000 नए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा किए जा सकते हैं। इस तरह की पहल से डिजिटल प्लेटफॉर्म की स्थिरता सुनिश्चित होने के साथ ही टैक्स योगदान को बढ़ाने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि रणनीति बनाने के बाद ही पायरेसी के कारण खोए जा रहे मूल्य की प्रत्यक्ष वसूली सुनिश्चित होगी। रिपोर्ट में कॉपीराइट अधिनियम, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का भी जिक्र किया गया है।
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