अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
बेंगलुरु: किसी व्यक्ति के निधन पर अनुकंपा के आधार पर उसकी बहन को नौकरी नहीं मिल सकती। यह आदेश देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक सिविल सेवा (अनुकंपा आधार पर नियुक्ति) नियम, 1999 के तहत अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगने वाली व्यक्ति की बहन की दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, बहन अपने भाई के परिवार में नही आती। नियम 2(1)के अनुसार मृत पुरुष कर्मचारी के स्थान पर अनुकंपा के आधार पर केवल उन्ही परिजनों को नौकरी मिल सकती है जो उनपर आश्रित थे, इनमें उसकी पत्नी, बेटा, बेटी शामिल हो सकते हैं। उन्हे ही परिवार का सदस्य माना जाता है। बहन को मृतक के परिवार का हिस्सा नही माना जा सकता हैं, न ही मृतक की नौकरी का दावेदार। मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की पीठ तुमकुरु निवासी 29 वर्षीय पल्लवी जीएम द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने कहा कि जब नियम बनाने वाले ने किसी अन्य व्यक्ति को किसी कर्मचारी के परिवार के सदस्यों के रूप में नहीं जोड़ा है तो हम किसी को सरकारी कर्मचारी के परिवार में न ही जोड़ सकते हैं,और न ही किसी को कर्मचारी के परिवार से हटा सकते हैं। इसके विपरीत यदि कोई तर्क देता है तो उसे स्वीकार करना, नियम को फिर से लिखने जैसा होगा और इसलिए इसे माना नहीं जा सकता।
अपीलकर्ता ने एकल न्यायाधीश पीठ के 30 मार्च, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने अनुकंपा के आधार पर कर्नाटक सिविल सेवा (अनुकंपा आधार पर नियुक्ति) नियम, 1999 के तहत नियुक्ति की मांग वाली उसकी याचिका खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि राज्य विद्युत कंपनी (बीईएससीओएम) में कार्यरत उसके भाई शशिकुमार की ड्यूटी के दौरान पर मृत्यु हो गई थी। उसकी बहन के वकील ने तर्क दिया था कि उसकी क्लाइंट अपने भाई शशिकुमार पर निर्भर थी और उसके परिवार की सदस्य थी और ऐसे में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए पात्र थी। बीईएससीओएम ने महिला की भाई की नौकरी की दावेदारी का विरोध किया था।
तुमकुरु जिले के टिपतुर तालुक की रहने वाली पल्लवी के भाई जूनियर लाईमैन के रूप में कार्यरत थे। इसी वजह से पल्लवी ने अपने मृतक भाई के स्थान पर नियुक्ति की मांग की थी। 28 फरवरी, 2019 को एक रैली के दौरान पल्लवी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को एक आवेदन प्रस्तुत किया था। आवेदन पर बेसकॉम द्वारा विचार किया गया और उन्होंने उसके अनुरोध को अस्वीकार करते हुए 13 नवंबर, 2019 को एक पत्र जारी किया गया,
इसके बाद पल्लवी ने इसे चुनौती दी और 30 मार्च, 2023 को एकल पीठ ने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि नियमों में अनुकंपा नियुक्ति के लिए बहन को परिवार का सदस्य मानने का प्रावधान नहीं है और आवेदक ने यह भी नहीं दिखाया है कि वह आश्रित थी।
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