भारत की जीडीपी को लेकर IMF के कार्यकारी निदेशक ने कह दी बड़ी बात, आंकड़ों से समझिए
India GDP growth: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। तमाम रेटिंग एजेंसियां भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर पॉजिटिव संकेत दे रही हैं। वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास दर के अनुमान को बढ़ाया है। इस बीच एक और एजेंसी फिच ने भी भारत की ग्रोथ रेट को बढ़ाकर दिखाया है। समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी निदेशक और भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने देश के रोजगार परिदृश्य पर भारत की जीडीपी वृद्धि के सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला।
सुब्रमण्यम ने इस बात पर जोर दिया कि पीएलएफएस के विश्वसनीय आंकड़े साफ तौर पर भारत में रोजगार की मात्रा और गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार का संकेत देते हैं। उन्होंने कहा कि,'लॉकडाउन के दौरान औरकोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान रोजगार की स्थिति खराब हो गई, लेकिन अगर आप अब समग्र रूप से देखेंतो रोजगार की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
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श्रमिकों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि-सुब्रमण्यम
सुब्रमण्यम के मुताबिक पीएलएफएस डेटा से पता चलता है कि नियमित कर्मचारियों और वेतनभोगी श्रमिकों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जो 2017-18 में 11.5 करोड़ से बढ़कर 13 करोड़ हो गई है। इसमें 13 प्रतिशत का सुधार हुआ है। महिलाओं पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा और उनमें 29.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई और पुरुषों के बीच 8.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। औपचारिक रोजगार में भी 1.2 करोड़ की वृद्धि देखी गई जो कि 25.3 प्रतिशत है।
रोजगार भी बढ़ा
सुब्रमण्यन ने बताया कि 2017-18 और 2019-20 के बीच सामान्य स्थिति में बेरोजगारी दर 6.0 प्रतिशत से घटकर 4.8 प्रतिशत हो गई। श्रम बल भागीदारी दर 49.8 प्रतिशत से बढ़कर 53.5 प्रतिशत हो गई और श्रमिक-जनसंख्या अनुपात 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 50.9 प्रतिशत हो गया। सुब्रमण्यम ने कहा कि फॉर्मल सेक्टर में रोजगार 2019-20 में 5.9 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 6.3 करोड़ हो गया।
बेरोजगारी दर पांच साल के निचले स्तर पर
सुब्रमण्यन ने कहा कि अगर आप फॉर्मल सेक्टर के रोजगार को देखें तो यह 2019-20 में 5.9 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 6.3 करोड़ हो गया है। यह रोजगार की गुणवत्ता बढ़ने का स्पष्ट रूप से उदाहरण है। उन्होंने कहा रोजगार दर के साथ रोजगार की मात्रा में भी काफी सुधार हुआ है और बेरोजगारी दर पांच साल के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत पर है। श्रम बल भागीदारी अनुपात लगभग 50 प्रतिशत से बढ़ गया है।
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