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स्कूल जाने पर ताने सुने, घर बैठे क्रैक किया UPSC, कौन हैं वो महिला IAS, जो दंगाइयों के आगे डटीं

IAS Vandana Singh Success Story: हल्द्वानी में दंगा भड़काने वालों को सीधी चुनौती देकर सुर्खियों में आई DM वंदना सिंह कड़ा संघर्ष करके अधिकारी बनी हैं। कभी उन्हें स्कूल जाने से मना कर दिया गया था, लेकिन वे डटी रहीं। कॉलेज भी नहीं गईं, घर बैठे बिना कोचिंग तैयारी करके देश का सबसे मुश्किल एग्जाम क्रैक किया और अफसर बन गईं।

महिला कलेक्टर वंदना सिंह हल्द्वानी दंगों के चलते काफी सुर्खियों में हैं।
IAS Vandana Singh Success Story: ऐसे समाज में पली-बढ़ी, जहां बेटी होना गुनाह था। लोग स्कूल नहीं जाने देना चाहते थे। मां-बाप से कहते थे, क्या करेगा इतना पढ़ा-लिखा कर? बेटियां चारदिवारी में ही अच्छी लगती हैं, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। घर बैठे पढ़ाई की, कोई कोचिंग भी नहीं ली और UPSC क्रैक करके IAS अधिकारी बनी गई। वे अब सुर्खियों में इसलिए हैं, क्योंकि वे दंगाइयों के आगे डट गई हैं। उन्हें सीधा चैलेंज कर दिया है। हिंसा करके आतंक फैलाने वालों से सख्ती से निपटी और आदेश दिया कि दंगा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करो। जी हां, बात हो रही है नैनीताल की महिला कलेक्टर वंदना सिंह के बारे में, जिनकी सफलता की कहानी प्रेरित करेगी।  

तेज तर्रार अफसरों की लिस्ट में शामिल वंदना सिंह

दरअसल, 8 फरवरी 2024 की शाम को हल्द्वानी में अवैध मदरसा-मस्जिद हटाए जाने के बाद भड़के दंगों ने वंदना सिंह को सुर्खियों में ला दिया। दंगाइयों ने पुलिस को टारगेट करते हुए पथराव किया और पेट्रोल बम फेंके। पुलिस की गाड़ियां जला दीं। यह सब देखते हुए नैनीताल की DM वंदना सिंह ने उपद्रवियों ने कानून-व्यवस्था के खिलाफ जाने पर सीधी चुनौती दे दी। उन्होंने सख्त लहजे में कहा है कि दंगा भड़काने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सांप्रदायिक दंगे होने से साफ इनकार कर दिया। बता दें कि 2012 बैच की IAS वंदना तेज तर्रार अफसरों में गिनी जाती हैं, वहीं उनके IAS अधिकारी बनने की कहानी भी काफी संघर्षपूर्ण है, क्योंकि कभी उन्हें स्कूल जाने से रोक दिया गया था।  

कॉलेज नहीं गईं, घर बैठ LLB-UPSC की तैयारी की

वंदना सिंह हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव में जन्मीं, जहां बेटियों को और उनकी पढ़ाई को महत्व नहीं दिया जाता। इसलिए उनके मां-बाप को वंदना को स्कूल भेजने के कारण लोगों के ताने भी सुनने पड़े। वंदना को भी शिक्षा के अधिकार से वंचित करने की हरसंभव कोशिश हुई, लेकिन पिता ने किसी की नहीं सुनी और वंदना को मुरादाबाद के गुरुकुल में भेज दिया। 12वीं करते ही वंदना ने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। साथ में LLB भी की, इसलिए वे कॉलेज नहीं गईं, बल्कि घर रहकर ही रोजाना 12 से 14 घंटे पढ़ाई की, लेकिन कोई कोचिंग नहीं ली। इस तरह वंदना ने कड़ी चुनौतियों के बावजूद 24 साल की उम्र में साल 2012 में 8वीं रैंक के साथ UPSC क्लीयर कर लिया।  

12 साल के करियर में इन-इन पदों पर रहीं वंदना सिंह

वंदना सिंह को उत्तराखंड कैडर मिला और वे सबसे पहले पिथौरागढ़ की मुख्य विकास अधिकारी बनीं। 2017 में पहली महिला CDO बनने का खिताब मिला। वंदना 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान' की ब्रांड एंबेसडर भी बनीं। उन्हें कार्मिक विभाग में भी अटैच किया गया था। 12 नवंबर 2020 को वंदना को KMVN का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया, लेकिन उन्होंने यह पद स्वीकार नहीं किया तो उन्हें ग्रामीण विकास विभाग में अपर सचिव बनाया गया। 2021 में अल्मोड़ा का जिलाधिकारी बनीं। 17 मई 2023 को नैनीताल की 48वीं DM बनीं।


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