गृहमंत्री अमित शाह ने IPC को बदलने की बात दोहराई, बोले- कोई भी कानून 50 साल बाद पुराना हो जाता है
गृहमंत्री शाह ने पुराने कानूनों को बदलने की बात दोहराई है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को बदलने की आवश्यकता पर एक बार फिर से जोर दिया है। शाह ने कहा कि कोई भी कानून 50 साल के बाद पुराना हो जाता है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ अपराध से निपटने का तरीका भी बदलना होगा। साल 1860 के बाद से आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जबकि 50 साल के बाद कोई भी कानून 'पुराना' हो जाता है। आज अपराध का पैमाना और अपराध करने के तरीके दोनों बदल गए हैं। अपराध को रोकने तरीका भी बदल गया है, लेकिन कानून में ऐसा नहीं हुआ है। हमें कानूनों में भी बदलाव करना होगा। शाह ने देहरादून में 49वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करते कहा कि इसके कारण देश की आपराधिक न्याय प्रणाली पर बुरा प्रभाव पड़ा है।
पुराने कोड को बदलने के लिए नए कानून
संसदीय पैनल के विचाराधीन तीन नए कानूनों - भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी की जगह), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (सीआरपीसी की जगह) और भारतीय साक्ष्य (साक्ष्य अधिनियम की जगह) का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि आगे ये कानून आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों से मामलों के निपटारे में तेजी आएगी। शाह ने कहा कि 'अमृत काल' के लिए गृह मंत्रालय से लेकर अंतिम पुलिस स्टेशन तक विभिन्न सुधारों की कल्पना की गई है और उन्हें लागू किया जाना है।
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ये तीन विधेयक कौन से हैं?
शाह ने 11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के दौरान पुराने कोड को बदलने की मांग करने वाले तीन विधेयक पेश किए थे। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को बदलने की मांग करने वाले तीन प्रस्तावित कानूनों को गृह मामलों की स्थायी समिति को भेजा था। यह समिति जांच कर तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
एक बार विधेयक पारित होने के बाद, वे क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले लेंगे। इन विधेयकों की शुरुआत के दौरान, गृह मंत्री ने कहा कि ये भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे और इस बात पर जोर दिया कि न्याय के त्वरित प्रावधान और लोगों की समकालीन जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने वाली कानूनी प्रणाली के निर्माण के लिए बदलाव किए जा रहे हैं।
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