Hindu Succession Act 1956: भारत में आपने हर दिन किसी ना किसी घर में जमीन विवाद या प्रॉपर्टी विवाद में बहनों और भाईयों को लड़ते हुए देखा होगा. लेकिन क्या किसी ने कभी सोचा है कि ससुर की प्रॉपर्टी में दामाद को हिस्सा मिल सकता है या नहीं? इसे लेकर भी हमारे देश में कानून बनाए गए हैं. वैसे भी भारत में ससुर और दामाद के रिश्ते को पिता-पुत्र के रिश्ते के रूप में देखा जाता है. इसलिए भी ये सवाल जायज है कि क्या किसी दामाद को उनके 'फादर इन लॉ' की प्रॉपर्टी में हिस्सा मिल सकता है या नहीं. एक खास बात और है कि हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म के नियमों में अंतर है. आइए इस खबर में जानते हैं कि भारत में मौजूदा नियम और कानून क्या कहते हैं.
सबसे पहला सवाल ये बनता है कि अगर दामाद को ससुर की प्रॉपर्टी में हक मिलता भी है तो आखिर कितना? तो आपको बता दें कि कभी भी ससुर की प्रॉपर्टी में दामाद को सीधा हक नहीं मिलता है. उत्तराधिकारी कानून में दामाद के लिए प्रॉपर्टी बंटवारे के लिए कोई स्थान नहीं है. जिससे ये साफ होता है कि फादर इन लॉ कहने भर से आप उनकी प्रॉपर्टी में हकदार नहीं बन सकते हैं.
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हिंदू उत्तराधिकार कानून क्या कहता है?
हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लिए ये कानून लागू होता है. जिसमें संपत्ति स्थानांतरण लिस्ट में दामाद को शामिल नहीं किया गया है. लेकिन इस कानून के हिसाब से दामाद को अपने ससुर की प्रॉपर्टी में तभी हक मिल सकता है जब उनकी (ससुर की) बेटी यानी व्यक्ति की पत्नी को उसके पिता से कोई प्रॉपर्टी मिली हो. लेकिन फिर भी दामाद सीधे तौर पर संपत्ति में अपना हक नहीं जमा सकता है.
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गिफ्ट डीड और वसीयत भी है ऑप्शन
ससुर के पास गिफ्ट डीड का भी ऑप्शन होता है. इसके साथ ही वसीयत का रास्ता भी अपनाया जा सकता है. बता दें कि ऐसे मामलों में अगर ससुर अपनी मर्जी से दामाद को उपहार के तौर पर या फिर वसीयत (will) के रूप में कोई भी संपत्ति देते हैं तो उस पर दामाद का पूरा अधिकार होगा. हां इस उपहार को गिफ्ट डीड के रूप में रजिस्टर करवाना भी जरूरी होता है, तभी ये मान्य मानी जाएगी.
क्या कहता है मुस्लिम कानून?
वहीं, अगर किसी मामले में ससुर मुस्लिम है तो इस केस में उत्तराधिकार कानून लागू नहीं होगा और इसका निर्धारण मुस्लिम लॉ यानी शरीयत कानून के अधिकार पर किया जाएगा. हालांकि, शरीयत कानून में भी ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद का सीधे तौर पर कोई हक नहीं होता है. यहां एक बड़ा अंतर ये है कि अगर ससुर अपने दामाद को अपनी प्रॉपर्टी में हिस्सा देना चाहते हैं तो वो सिर्फ एक तिहाई हिस्सा ही दामाद को दे सकते हैं. यानी अपनी संपत्ति का महज 33 फीसदी हिस्सा ही ससुर अपने दामाद को दे सकते हैं. जबकि हिंदू उत्तराधिकार कानून में ससुर चाहे तो अपनी पूरी संपत्ति या फिर वो जितनी चाहे उतनी संपत्ति वसीयत में दे सकते हैं.
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ईसाई धर्म में कैसे होता है निपटारा?
ईसाई धर्म में भी लगभग ऐसे ही कानून लागू होते हैं. जब तक ससुर अपने दामाद को सीधे तौर पर उनकी प्रॉपर्टी में कोई हक नहीं देंगे तब तक दामाद उनकी प्रॉपर्टी में सीधा हकदार नहीं होगा. हां अगर पत्नी की कोई संपत्ति है तो बिना पत्नी के चाहे भी पति को उस प्रॉपर्टी में कोई हक नहीं मिलेगा.
हालांकि ऐसे किसी भी मामले में लोगों को हमेश किसी वरिष्ठ वकील की सहायता या विचार विमर्श जरूर करना चाहिए.