TrendingInd Vs AusIPL 2025UP Bypoll 2024Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024

---विज्ञापन---

Hijab Row: सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार की दलील, कहा- सोची समझी साजिश के तहत बढ़ाया गया हिजाब विवाद

नई दिल्ली: कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर पाबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार ने कहा कि हिजाब विवाद को सोची समझी साजिश के तहत बढ़ाया गया जिसमें स्कूल की लड़कियों को शामिल किया गया। कर्नाटक सरकार की तरफ से पेश हो रहे सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता ने दलील […]

Hijab Controversy
नई दिल्ली: कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर पाबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार ने कहा कि हिजाब विवाद को सोची समझी साजिश के तहत बढ़ाया गया जिसमें स्कूल की लड़कियों को शामिल किया गया। कर्नाटक सरकार की तरफ से पेश हो रहे सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता ने दलील दी कि कर्नाटक के स्कूलों में 2021 तक कोई लड़की हिजाब नहीं पहनती थी। लेकिन 2022 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने हिजाब को लेकर सोशल मीडिया पर एक मूवमेंट शुरू किया। उसके बाद लड़कियों ने स्कूलों में हिजाब पहनकर आना शुरू किया जिसके बाद विवाद बढ़ गया। स्कूलों में एडमिशन के दौरान याचिका कर्ताओं ने भी स्कूल यूनिफॉर्म पहनने का अंडरटेकिंग दिया था। इनमें से किसी ने हिजाब पहनने की बात नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट में दो जजों जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच हिजाब बैन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। राजीव धवन, कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण, कोलिन गोंजाल्विस, हुजैफा अहमदी जैसे बड़े वकील और अब्दुल मजीद दार और निजाम पाशा जैसे इस्लामिक लॉ और कुरान के जानकार वकील यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि स्कूलों जाने वाली लड़कियों को हिजाब पहनकर जाना उनका अधिकार है। उनको हिजाब पहनने से रोकना उनके मौलिक अधिकार का हनन है। स्कूलों में जब पगड़ी, तिलक और क्रॉस को बैन नहीं किया गया तो फिर हिजाब पर बैन क्यों? यह सिर्फ एक धर्म को निशाना बनाने के लिए किया गया है। अगर रोकना है तो मिनी स्कर्ट पहनने से रोका जा सकता है, ना कि हिजाब से। हिजाब से तो सर ढंकता है। जहां तक शैक्षणिक संस्थानों के सुचारू संचालन, उनकी मर्यादा और नैतिकता का सवाल है तो हिजाब से इन भावनओं को कोई ठेस नहीं पहुंचता है। हिजाब विवाद की शुरुआत कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज से हुआ जब मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास में जाने से रोक दिया गया था। मुस्लिम लड़कियों ने संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों की दुहाई देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दलील दी कि हिजाब पहनने की अनुमति न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। मामला अदालत गया लेकिन अदालत तक ही सीमित नहीं रहा। क्योंकि इसमें धर्म का एंगल था, सियासत शुरू हो गयी। हाईकार्ट ने फैसला सुनाया हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और उसने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए मुस्लिम छात्राओं की खाचिकाएं खारिज कर दी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार की तरफ से एक सर्कुलर जारी हुआ कि शैक्षणिक संस्थानों में स्कार्फ, हिजाब, भगवा शॉल जैसे कपड़े पहनकर आने की इजाजत नहीं होगी। हाईकोर्ट और सरकार के फैसले को मुस्लिम लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.