Trendingimran khanSanchar Saathiparliament winter session

---विज्ञापन---

CM से इस्तीफा मांगने से लेकर मंत्री को कुर्सी से हटाने तक, पढ़ें PM लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल के रोचक किस्से

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2025: लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे. उनका कार्यकाल मात्र 19 महीने का था लेकिन इस दौरान उन्होंने करप्शन मुक्त भारत की ऐसी नींव रखी थी कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे भी मांगे जाने लगे. शास्त्री ने अपने बेटे को भी बेघर कर दिया था. चलिए उनकी जयंती पर जानते हैं उनके जीवनकाल के ऐसे रोचक किस्सों के बारे में.

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2025: देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती आज है. 2 अक्टूबर के दिन देश में दो ऐसी शख्सियतों का जन्म हुआ था जिन्होंने भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त रहने और अहिंसा का पाठ पढ़ाया था. एक हैं महात्मा गांधी और दूसरे लाल बहादुर शास्त्री. शास्त्री का जीवन साफ-सुथरी छवि वाले नेता के रूप में रहा है. उन्हें लोग 'ईमानदार नेता' या 'सादा जीवन, उच्च विचार वाले नेता' के रूप में भी संबोधित करते थे, जो उनके व्यक्तित्व का प्रतीक बन गया. पीएम पद पर रहते हुए उन्होंने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार की नकेल कसने के लिए किसी को भी नहीं बख्शा था. आइए जानते हैं उनके ऐतिहासिक कदमों के बारे में जो आज भी याद किए जाते हैं.

लाल बहादुर शास्त्री के 5 ऐतिहासिक कदम

CBI का गठन

क्या आप जानते हैं सीबीआई यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन से पहले देश में स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट समिति हुआ करती थी? इसे शास्त्री ने बदला था. शास्त्री जी ने ऐसा तब किया था जब उन्हें सुरक्षा विभागों में लगे लोगों के खिलाफ शिकायतें मिलना शुरू हुई थीं. शिकायतों का दौर नेहरू जी के समय से शुरू हो गया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. शास्त्री जी ने सीबीआई का गठन करके पहले सभी केंद्र सरकार के ठेकों और दफ्तरों की जांच करवाई थी.

---विज्ञापन---

पंजाब के सीएम से मांगा इस्तीफा

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरो उस समय के दिग्गज नेता और प्रभावशाली व्यक्ति थे. आयोग द्वारा उनकी जांच करवाई गई तो कैरो की संपत्ति अनियमितताओं से भरी पाई गई थी. उन्होंने अपने पद का भी गलत इस्तेमाल किया था. मगर उस दौर में कैरो से कोई पंगा लेना पसंद नहीं करता था. यहां तक कि केंद्र के नेता भी उनसे भिड़ने से कन्नी काटते थे लेकिन शास्त्री जी पीछे नहीं हटे. उन्होंने उनके दोषी पाए जाने पर कैरो से सीधे इस्तीफे की मांग की, जो उन्हें देना पड़ा था.

---विज्ञापन---

वित्त मंत्री को भी नहीं बख्शा

करप्शन के खिलाफ लाल बहादुर शास्त्री किसी को भी नहीं बख्शते थे. उन्होंने वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णामचारी से भी इस्तीफा मांग लिया था. दरअसल, वे मुख्य न्यायाधीश के निर्देशों के बाद भी जांच करवाने को तैयार नहीं थे. उनके विरुद्ध भी भ्रष्टाचार के कई आरोप थे लेकिन जांच नहीं करवाने की गलती उन पर भारी पड़ गई और अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.

खुद के बेटे को भी दी सजा

माता-पिता ही अपने बच्चों की गलती को सुधार सकते हैं अगर सही समय पर उन्हें सबक सिखाया जाए. कुछ ऐसा ही पीएम लाल बहादुर ने भी अपने कलेजे के टुकड़े यानी बड़े बेटे हरि कृष्ण शास्त्री के साथ किया था. दरअसल, हरि शास्त्री पर बार-बार व्यापारिक संपर्क से संबंधित शिकायतें आ रही थीं. इससे नाराज लाल बहादुर ने हरि को घर छोड़ने के लिए कहा था. हरि की घर वापसी शिकायतों के गलत साबित होने के बाद हुई थी.

अमेरिका से तब भी नहीं डरे

आज का भारत किसी से नहीं डरता लेकिन लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे वे भी कभी अमेरिका से डरे नहीं थे. साल 1965 में पाकिस्तान द्वारा हमले के बाद भारतीय सेना ने अपने पराक्रम से भारत को जीत दिलाई थी. उस वक्त यह जीत काफी मूल्यवान थी क्योंकि 1962 में चीन से हुई हार के बाद देश का मनोबल बहुत गिरा हुआ था.

ये था पूरा किस्सा

उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को अमेरिका आने का न्योता भेजा था क्योंकि तब अमेरिका पाकिस्तान को मदद देने की सोच रहा था. शास्त्री को अमेरिका जाने का अवसर देने से पहले ही, अमेरिकी प्रशासन ने न्योता वापस ले लिया था. माना जाता है कि यह फैसला पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब के दबाव में लिया गया था. शास्त्री जी ने अपने इस अपमान को गंभीरता से लिया और अमेरिका जाने के बजाय सोवियत संघ की यात्रा करने का फैसला किया था. इतना ही नहीं कनाडा जाते वक्त उन्हें अमेरिका ठहरने के लिए कहा गया तो उन्होंने इस आग्रह को भी अस्वीकार कर दिया था.

ये भी पढ़ें-Gandhi Jayanti 2025: 156 साल बाद भी लोगों के विचारों में क्यों अमर हैं ‘गांधी’? आज देश भर में मनाई जाएगी जयंती


Topics:

---विज्ञापन---