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29 साल पुराना केस: पूर्व JKLF कमांडर जावेद मीर और स्वतंत्रतावादी नेता शकील बख्शी गिरफ्तार, 1996 के श्रीनगर दंगे से जुड़ा मामला फिर से खुला

लगभग तीन दशक बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 1996 में श्रीनगर में हुए दंगे और आतंक से जुड़े एक पुराने मामले में बड़ा कदम उठाते हुए दो प्रमुख अलगाववादी नेताओं, पूर्व JKLF कमांडर जावेद अहमद मीर और इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग के पूर्व प्रमुख शकील अहमद बख्शी को गिरफ्तार किया है.

लगभग तीन दशक बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 1996 में श्रीनगर में हुए दंगे और आतंक से जुड़े एक पुराने मामले में बड़ा कदम उठाते हुए दो प्रमुख अलगाववादी नेताओं, पूर्व JKLF कमांडर जावेद अहमद मीर और इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग के पूर्व प्रमुख शकील अहमद बख्शी को गिरफ्तार किया है.

यह मामला एफआईआर नंबर 192/1996 के तहत शेरगढ़ी पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था, जो 17 जुलाई 1996 को हुए एक हिंसक जुलूस से जुड़ा है. यह जुलूस उस समय निकला था जब आतंकी हिलाल अहमद बेग का जनाजा आलूची बाग से निकाला गया था. सुरक्षा बलों के साथ एनकाउंटर में उसकी मौत हुई थी, जिसके बाद यह जनाजा हिंसा में बदल गया.

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पुलिस के मुताबिक, जब यह भीड़ नाज क्रॉसिंग के पास पहुंची, तो हालात बिगड़ गए. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, भारत विरोधी नारे लगाए और माहौल पूरी तरह अशांत हो गया. इस अफरातफरी के बीच, हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने पुलिस बल पर फायरिंग की, जिसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की.

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उस वक्त के पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इस जुलूस की अगुवाई कश्मीर के कई जाने-माने अलगाववादी नेताओं ने की थी, जिनमें स्वर्गीय सैयद अली शाह गिलानी, अब्दुल गनी लोन, मोहम्मद याकूब वकील, और जावेद अहमद मीर शामिल थे. प्रारंभिक जांच में कुल सात लोगों को इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. गिलानी और लोन को उसी दिन गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.

इस पुराने केस में नई हलचल तब शुरू हुई जब शकील अहमद बख्शी ने 8 दिसंबर को एनआईए अदालत श्रीनगर में आत्मसमर्पण किया. अगले ही दिन जावेद अहमद मीर ने भी सरेंडर कर दिया. दोनों को कानूनी औपचारिकताओं के बाद शेरगढ़ी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जांच अब तेजी से आगे बढ़ रही है और सभी कानूनी प्रक्रियाओं के पूरे होने के बाद चार्जशीट अदालत में दाखिल की जाएगी,

इस केस में नामजद बाकी आरोपियों में शब्बीर शाह और नईम खान फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक अलग एनआईए केस के तहत बंद है, जबकि तीन अन्य आरोपियों, जिनमें गिलानी भी शामिल है, की मौत हो चुकी है, जिसके मृत्यु प्रमाण पत्र भी पुलिस को मिल चुके हैं.

सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि शकील बख्शी का भाई पहले प्रतिबंधित संगठन JKLF से जुड़ा रहा है. अधिकारियों ने इसे कश्मीर घाटी के पुराने हिंसक मामलों को पुनः खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है.


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