Female Astronauts Hairs Open ISS : अंतरिक्ष यात्री जिनमें सुनीता विलियम्स भी शामिल हैं। वह अपने बालों को अंतरिक्ष में अपने बालों को खुला रखना पसंद करती थी, क्योंकि माइक्रोग्रैविटी वातावरण में बालों को बांधने की जरूरत नहीं होती। इसके चलते वहां पर बिना किसी शैम्पू के बालों को धोने और सुखाने जैसी सुविधा मिल जाती है। कहा जाता है कि वेंटिलेशन सिस्टम बालों को सुखाने में मदद करता है। बालों की देखभाल किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, खासकर लंबे बालों वाले लोगों के लिए। चाहे फिर वह कोई महिला हो या पुरुष, क्योंकि इसे भी हेल्दी रहने का जरूरी हिस्सा माना जाता है।
जंगली बालों वाली महिला
कुछ दिन पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सुनीता विलियम्स को जंगली बालों वाली महिला कहा था। इसके साथ ही इंटरनेट पर कुछ और मीम भी बनाई गई थी। ओवल ऑफिस में बैठे ट्रंप ने नासा के अंतरिक्ष में फंसे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अपने संदेश के बारे में पूछे जाने पर मजाक उड़ाया और बचाव अभियान को संबोधित करते हुए कहा कि हम आपसे प्यार करते हैं और हम आपको लेने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपको इतने लंबे समय तक वहां नहीं रहना चाहिए था।
47वें अमेरिकी राष्ट्रपति ने नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के बालों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं इस महिला को जंगली बालों के साथ देखता हूं, उसके बाल अच्छे और घने हैं। कोई मजाक नहीं है। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप की टिप्पणी ने इंटरनेट पर मीम-फेस्ट को बढ़ावा दिया। लेकिन कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि विलियम्स के बाल हमेशा खुले रहते हैं।
बालों की देखभाल
अंतरिक्ष यात्री कैरेन न्यबर्ग ने अंतरिक्ष में अपने मिशन के दौरान अपने बाल धोने का रुटीन शेयर किया 2012 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा पर अभियान 36 की अंतरिक्ष यात्री कैरेन न्यबर्ग ने दिखाया कि कैसे वह और उनके सहकर्मी तैरते समय अपने बालों को साफ रखते हैं। 2013 में न्यबर्ग ISS (अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन) पर सवार एकमात्र महिला थीं। YouTube वीडियो में, न्यबर्ग को अंतरिक्ष में लंबे बालों को धोने का तरीका दिखाते हुए देखा गया था। उन्होंने इस काम को पूरा करने के लिए कुछ गर्म पानी, एक कंघी, एक आईना और एक तौलिया का इस्तेमाल किया।
अंतिरक्ष में माइक्रोग्रैविटी!
अंतरिक्ष में ISS पर भी गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव है लेकिन यह पृथ्वी की सतह पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण से कम होता है। ISS पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है, वहां के अंतरिक्ष यात्री शून्य गुरुत्वाकर्षण में नहीं बल्कि माइक्रोग्रैविटी की स्थिति में होते हैं। ISS पृथ्वी की सतह से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर है, वहां गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की सतह पर होने वाले गुरुत्वाकर्षण का लगभग 89% है। अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशन स्पेस सेंटर पर "माइक्रोग्रैविटी" की स्थिति में होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को महसूस करते हैं, लेकिन यह प्रभाव पृथ्वी की सतह पर होने वाले गुरुत्वाकर्षण से कम होता है।
क्या होता है गुरुत्वाकर्षण?
गुरुत्वाकर्षण एक प्राकृतिक घटना है जिसके कारण द्रव्यमान वाली वस्तुएं एक-दूसरे को आकर्षित होती हैं। पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव लगभग 9.8 मीटर प्रति सेकंड प्रति सेकंड (m/s²) होता है। चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ज्वार-भाटा होता है। पृथ्वी पर चीजें अंतिरक्ष की तरह उड़ती नहीं, इंसान ठीक से बैठ सकता है, इसके पीछे का कारण गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही होता है।
चंद्रमा जब भी पृथ्वी के निकट आता है तो पृथ्वी को अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी ओर खींचता है लेकिन इस खिंचाव का ठोस जमीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता परन्तु समुंद्री जल में हलचल पैदा कर देता है। जब सूर्य, पृथ्वी के दांयी तरफ होता है और चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा होता है, उस स्थिति में महासागरों के जल-स्तर का सामान्य-स्तर से ऊपर उठना ज्वार तथा नीचे गिरना भाटा कहलाता है।
अंतिरक्ष में कैसे मापा जाता है ग्रेविटी ?
नासा के अनुसार, ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरीमेंट (GRACE) को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को मापने के लिए 2002 में लॉन्च किया गया था। दो समान GRACE उपग्रह लगभग 220 किलोमीटर (137 मील) की दूरी पर एक ही कक्षीय तल में एक के पीछे एक परिक्रमा करते हैं। जैसे ही यह जोड़ी पृथ्वी की परिक्रमा करती है, थोड़े अधिक गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र पहले मुख्य उपग्रह को प्रभावित करते हैं और उसे पीछे वाले उपग्रह से दूर खींचते हैं। जैसे ही उपग्रह अपने कक्षीय पथ पर आगे बढ़ते हैं, पीछे वाला उपग्रह गुरुत्वाकर्षण विसंगति से गुजरते समय मुख्य उपग्रह की ओर खिंच जाता है। GRACE पर माइक्रोवेव रेंजिंग सिस्टम उपग्रहों के बीच की दूरी से इस बदलाव का पता लगाता है।
प्रत्येक उपग्रह के द्रव्यमान केंद्र पर स्थित एक्सेलेरोमीटर के रूप में जाना जाने वाला माप उपकरण गैर-गुरुत्वाकर्षण त्वरण (Acceleration )को मापता है ताकि केवल गुरुत्वाकर्षण के कारण होने वाले त्वरणों (Acceleration) पर ध्यान दिया जा सके। सैटेलाइट ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) रिसीवर पृथ्वी पर सैटेलाइट की सटीक स्थिति को एक सेंटीमीटर या उससे भी कम दूरी पर निर्धारित करते हैं। GRACE विज्ञान टीम के सदस्य सैटेलाइट से यह सारी जानकारी डाउनलोड कर सकते हैं।