Farmers Government Meetings Review: लोकसभा चुनाव 2024 सिर पर हैं। चुनाव आयोग किसी भी समय मतदान की तारीखों का ऐलान कर सकता है, लेकिन ऐन मौके पर किसानों ने आंदोलन छेड़ दिया है। वे एक बार फिर दिल्ली में घुसना चाहते हैं, इसके लिए सड़कों पर डटे हैं। अचानक फसलों पर MSP और गारंटी कानून की मांग को लेकर मुखर हो गए हैं। किसानों ने इस बार 12 मांगें केंद्र सरकार के सामने रखी हैं।
किसानों की सरकार के साथ 8 दिन में 4 दौर की बैठक हो चुकी हैं, लेकिन रिजल्ट जीरो है। सरकार ने MSP को लेकर प्रस्ताव दिया, जिस पर विचार विमर्श के लिए किसानों ने 2 दिन का टाइम लिया, लेकिन पहले ही दिन किसानों ने प्रस्ताव खारिज कर दिया और दिल्ली कूच करने का ऐलान कर दिया। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसानों की 12 सूत्रीय मांगों पर कहां पेंच फंसा हुआ है? आइए इसके बारे में जानते हैं...
MSP देने से सरकार पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, MSP पर सरकार की दलील है कि MSP की कानूनी गारंटी देना बजट में संभव नहीं है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि सच कुछ और है। CRISIL के अनुसार, 2022-23 में ही अगर किसानों को MSP दे दी जाती तो केंद्र सरकार पर 21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है, सरकार यह नहीं देख रही कि MSP की गारंटी देने से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। ग्रामीण भारत में डिमांड बढ़ेगी और किसानों को अलग-अलग किस्म की फसलें उगाने का भरोसा भी मिलेगा, जो देश की समृद्धि की गारंटी है।
बैंक लोन माफ किए, MSP देने में समस्या क्या?
कांग्रेस का कहना है कि जो MSP और गारंटी कानून देने को लेकर जो भ्रम फैलाया जा रहा है, वह डॉ. स्वामीनाथन और उनके सपनों का अपमान हैं। MSP की गारंटी देने से भारत का किसान, बजट पर बोझ नहीं, GDP ग्रोथ का सूत्रधार बनेगा। कांग्रेस का कहना है कि जिस देश में 14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, 1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा-सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? यह समझ से परे है, कहीं ऐसा न हो कि MSP पर गारंटी कानून नहीं बनाना भाजपा के गले की फांस बन जाए।