क्या है आई ट्रैकिंग, आई ट्रैकर टेस्ट और इससे क्या फायदे होंगे, जिसे देश में लागू करने की तैयारी
Eye Tracking
Eye Tracking Test, Eye Tracker Certificate: देशभर में नेशनल हाईवे पर दौड़ते भारी-भरकम ट्रकों, ट्रालों और डंपरों से होने वाले हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है। आखिर हादसे क्यों होते हैं, जबकि नेशनल हाईवे सीधे और स्पाट होते हैं। इनकी जमीन भी समतल होती है, फिर भी बैलेंस बिगड़ता है और एक्सीडेंट हो जाते हैं, इसका पता लगाने के लिए भारत सरकार ओवर लोडिड व्हीकल्स ड्राइव करने वालों के लिए 'आई ट्रैकिंग' अनिवार्य करने की तैयारी में है। आदेश लागू होने के बाद ड्राइवरों के लिए आई ट्रैकिंग सर्टिफिकेट अनिवार्य हो जाएगा। यह टेस्ट हर साल कराना होगा। प्रस्ताव तैयार है, जिसे मंजूरी मिलते ही देश में लागू कर दिया जाएगा। आइए आई ट्रैकिंग और आई ट्रैकर सिस्टम के बारे में बात करते हैं...
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आई ट्रैकिंग और आई ट्रैकर सिस्टम क्या है?
आई ट्रैकिंग का मतलब है, आंखों का व्यवहार जानना, जैसे पुतलियों का फैलाव कितना है? उनकी देखने और पलक झपकने की स्पीड कैसी है? नजर का टिकाव कितना है? आंखें कितनी दूर तक देख सकती हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि देख कहीं रहे हैं और ध्यान कहीं और है? आंखों की रोशनी कितनी खराब है? क्या आंखें रातें ही भी उसी तरह काम करती हैं, जैसे दिन में आदि जानना आई ट्रैकिंग कहलाता है। जिस उपकरण का इस्तेमाल करके आंखों की जांच की जाती है, आई ट्रैकिंग सिस्टम कहते हैं।
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आई ट्रैकिंग के फायदे और नुकसान क्या हैं?
क्योंकि आई ट्रैकिंग से आंखों का व्यवहार पता चलता है, ऐसे में आई ट्रैकिंग काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। आंखें सही हैं या नहीं, वे ठीक से काम कर रही हैं या नहीं आदि जान लेने से यह तय करना आसान हो जाएगा कि किस उम्र में इंसान को क्या काम करना चाहिए कि जान माल का नुकसान न हो। रिटायरमेंट जैसे फैसले लेने में आई ट्रैकिंग बड़े काम आएगी, लेकिन इसका नकारात्मक पहलू यह है कि आई ट्रैकिंग सिर्फ लैब में संभव है। इसके लिए विशेष उपकरण चाहिएं, जो देश में शायद ही मिलें।
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कितनी दूर तक देख सकती हैं इंसानी आंखें?
इंसान की आंख का वजन 8 ग्राम होता है। यह मानव शरीर का सबसे संवेदनशील अंग है। इनका खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। इंसान की आंखें 576 मेगापिक्सल की पावर से अधिकतम एक किलोमीटर से 7 किलोमीटर दूर तक देख सकती हैं, लेकिन देखने की स्पष्टता कम रहती है। आंख में कई भाग होते हैं, जैसे रेटिना, आइरिस, कॉर्निया, आईबॉल और स्क्लेरा इत्यादि। बोनी कप की तरह दिखने वाला आंखों का सॉकेट आंखों के चारों तरफ एक सुरक्षा कवच का काम करता है, जो 7 हड्डियों से बना होता है।
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