Ethiopia Volcanic Eruption Impact: इथोपिया में फटे हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली राख का बादल भारत तक पहुंच गया है. आज शाम तक धूल-मिट्टी से भरी राख का गुबार पश्चिमी और उत्तर भारत के कई राज्यों में फैलने की आशंका है. क्योंकि राख का बादल 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब होते हुए हिमालयी क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा है. राख के बादल में कांच और चट्टानों के कणों के अलावा सल्फर-डाइ-ऑक्साइड जो आसमान को धुंधला और काला कर सकती है.
राख का मौसम पर ऐसे पड़ेगा असर
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, ज्वालामुखी की राख लाल सागर को पार करके यमन, ओमान, भारत के दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और पाकिस्तान तक पहुंच गई है, वहीं मौसम पर इसका असर एरिया वाइज पड़ेगा, लेकिन अस्थायी होगा. वैश्विक मौसम में इससे कोई बदलाव नहीं आएगा. राख का गुबार वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को भी प्रभावित नहीं करेगा, राख के गुबार का असर नेपाल, हिमालय और उत्तर प्रदेश में तराई की पहाड़ियों में सल्फर-डाई-ऑक्साइड के लेवल पर पड़ेगा. राख का गुबार पहाड़ियों से टकराकर चीन की तरफ जाएगा.
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मैदानी इलाकों में नहीं गिरेगी राख
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, ज्वालामुखी की राख मैदानी इलाकों में नहीं गिरेगी और AQI पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि राख के बादल धरती की सतह से करीब 45000 फीट ऊपर हैं. सूर्योदय के समय राख के कण आसमान में नजर आ सकते हैं, वहीं रात के समय आसमान ज्यादा की काला नजर आ सकता है, जो अजीब और हास्यास्पद लग सकता है. हालांकि ज्वालामुखी की राख का बादल ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन इसमें जो धूल मिट्टी के कण हैं, वे दिल्ली की हवा में मिल सकते हैं, क्योंकि दिल्ली में पहले से ही वायु प्रदूषण फैला है.
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एयरलाइंस के लिए आई एडवाइजरी
बता दें कि ज्वालामुखी की राख का गुबार देखते हहुए DGCA ने एक एडवाइजरी जारी कर दी है, क्योंकि राख के बादलों से फ्लाइट्स की आवाजाही प्रभावित हो सकती है. DGCA ने एयरलाइंस को राख से प्रभावित क्षेत्रों और ऊंचाई से बचने, ऑपरेशन मैनुअल्स की समीक्षा करने और कॉकपिट केबिन क्रू को इस बारे में सूचित करने के निर्देश दिए हैं. राख के बादल पश्चिम एशिया से होते हुए भारत की ओर बढ़ रहा है और इसके कारण कई उड़ानें प्रभावित हो चुकी हैं. वहीं भारतीय एयरलाइंस और हवाई अड्डों को रनवे, टैक्सीवे और एप्रॉन की स्थिति लगातार जांचने और जरूरत पड़ने पर संचालन रोकने के निर्देश दिए गए हैं.