Elections will held here using ballot papers: दुनिया भर के अधिकतर राष्ट्रीय या बड़े चुनाव बैलेट पेपर की जगह अब ईवीएम इलेक्ट्रोनिक या ऑटोमेटिड तरीकों से ही करवाए जाते हैं। इसी बीच भारत के एक राज्य में फिर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग ने जोर पकड़ा है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार स्थानीय निकाय चुनाव को बैलेट पेपर के माध्यम से करवाना चाहती है। बीते गुरुवार को कर्नाटक राज्य मंत्रिमंडल ने ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और स्टेट चुनाव आयोग को सिफारिश भेज दी। इस पर अंतिम फैसला चुनाव ही लेगा। कर्नाटक के कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद इसकी घोषणा की।
क्या बोले कानून मंत्री एचके पाटिल?
कानून मंत्री एचके पाटिल के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि लोगों में ईवीएम को लेकर विश्वास और विश्वसनीयता कम हो रही है। वैलेट पेपर से चुनाव का फैसला सरकार ने सोच समझ कर लिया है। उन्होंने बताया कि वैलेट पेपर को समर्थन देने का कैबिनेट का यह फैसला बेंगलुरु में पंचायतों और पांच नवगठित नगर निगमों के चुनावों से पहले मतदाता सूची के एसआईआर की सिफारिश के साथ आया है। प्रदेश कैबिनेट के इस फैसले की विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने आलोचना की, जबकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अन्य देशों का हवाला देते हुए इस कदम का बचाव किया, जो पेपर बैलट का उपयोग करते हैं ।
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बैलेट पेपर से अभी कहां-कहां होते चुनाव
- अमेरिका में अभी भी बैलेट पेपर पर बहुत डिपेंडेंसी है। 2022 के मध्यावधि चुनाव में लगभग 70% मतदाताओं ने हाथ से चिह्नित मतपत्रों का उपयोग किया था। कई राज्यों में चुनाव के बाद ऑडिट अनिवार्य हैं। इलेक्ट्रॉनिक डाटा की पुष्टि के लिए अक्सर इन कागज़ के रिकॉर्ड पर निर्भर करते हैं।
- यूके में मुख्य रूप से बैलेट पेपर का उपयोग किया जाता है, हालांकि मतगणना में सहायता के लिए कुछ डिजिटल उपकरणों का भी उपयोग किया जाता है।
- जर्मनी ने 2009 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था तथा बैलेट पेपर का प्रयोग शुरू कर दिया था। नीदरलैंड में भी 2006 में इसी कारण से ईवीएम के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
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