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चुनावी बॉन्ड रद्द होने के बाद भी BJP मालामाल, एक साल में मिला कांग्रेस से 12 गुना ज्यादा चंदा; जानें- किसने कितना दिया

साल 2024-25 में कांग्रेस को 522.13 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जो भाजपा से करीब 12 गुना कम है.

भाजपा ने 162 पन्नों की कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट सब्मिट की है.

फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था. लेकिन इसका असर सियासी पार्टियों को मिलने वाले चंदे पर नहीं पड़ा. बॉन्ड स्कीम रद्द होने के एक साल बाद भाजपा को 2024-25 में खूब चंदा मिला. भाजपा की 2024-25 की कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान पार्टी को 6,088 करोड़ रुपये का चंदा मिला. इसी साल लोकसभा के चुनाव थे. यह 2023-24 में मिले 3,967 करोड़ रुपये से करीब 53 फीसदी ज्यादा है. यह रिपोर्ट 8 दिसंबर को भाजपा ने सब्मिट की थी, जिसे चुनाव आयोग ने पिछले सप्ताह प्रकाशित की है. वहीं, इस दौरान कांग्रेस को 522.13 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जो भाजपा से करीब 12 गुना कम है.

भाजपा ने 162 पन्नों की रिपोर्ट सब्मिट की है. 2024-25 में, चुनावी ट्रस्टों ने भाजपा को 3,744 करोड़ रुपये दान किए. यह कुल चंदे का 61 फीसदी है. बाकी 2,344 करोड़ रुपये दूसरे लोगों ने चंदे में दिए. ट्रस्टों के अलावा, भाजपा को जिन्होंने सबसे ज्यादा चंदा दिया, उनमें कई कंपनियां शामिल हैं.

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चंदा देने वाली कंपनियां :

  • सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (100 करोड़ रुपये)
  • रूंगटा संस प्राइवेट लिमिटेड (95 करोड़ रुपये)
  • वेदांता लिमिटेड (67 करोड़ रुपये)
  • मैक्रोटेक डेवलपर्स लिमिटेड (65 करोड़ रुपये)
  • डेराइव इन्वेस्टमेंट्स (53 करोड़ रुपये)
  • मॉडर्न रोड मेकर्स प्राइवेट लिमिटेड (52 करोड़ रुपये)
  • लोटस होमटेक्सटाइल्स लिमिटेड (51 करोड़ रुपये)
  • सफल गोयल रियल्टी एलएलपी (45 करोड़ रुपये)
  • आईटीसी लिमिटेड (39 करोड़ रुपये)
  • ग्लोबल आइवी वेंचर्स एलएलपी (35 करोड़ रुपये)
  • आईटीसी इन्फोटेक इंडिया लिमिटेड (33.5 करोड़ रुपये)
  • हीरो एंटरप्राइजेज पार्टनर वेंचर्स (30 करोड़ रुपये)
  • मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड (30 करोड़ रुपये)
  • सुरेश अमृतलाल कोटक (30 करोड़ रुपये)
  • हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (27 करोड़ रुपये)

साल 2024-25 में भाजपा को 2019-20 के बाद से सबसे ज्यादा चंदा मिला है. अब कॉर्पोरेट हाउस, चेक, डिमांड ड्राफ्ट या बैंक ट्रांसफर के जरिए पार्टियों को चंदा दे सकते हैं. पार्टियों को चंदे की जानकारी अपनी कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट और एनुअल ऑडिट रिपोर्ट में देनी होती है. यह रिपोर्ट चुनाव आयोग में सब्मिट करनी होती है.

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सरकार ने 2017-2018 में इलेक्ट्रॉल बॉन्ड स्कीम शुरू की थी. पिछले साल तक, बॉन्ड पार्टियों के फंड लेने का प्राइमेरी जरिया था. इस स्कीम के जरिए, राजनीतिक दलों को पिछले कुछ वर्षों में 16,000 करोड़ रुपये से अधिक का गुमनाम चंदा मिला था. यह चंदा ज्यादात्तर भाजपा के हिस्से में गया था.


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