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दिग्विजय सिंह के PM पोस्ट से BJP गदगद, खरगे-राहुल ने क्यों साध रखी चुप्पी? अब कांग्रेस नेता ने दी सफाई

वैसे तो कांग्रेस स्थापना दिवस के एक दिन पहले कांग्रेस ने मनरेगा बचाओ, वोट चोरी, बांग्लादेश, अल्पसंख्यकों पर हो रहा अत्याचार सरीखे मुद्दों पर कार्यसमिति की बैठक बुलाई थी, लेकिन उसके ठीक पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के एक्स पर किये गए दो पोस्ट ने सनसनी फैला दी. पढ़ें दिल्ली से रमन कुमार की रिपोर्ट

रमन कुमार

वैसे तो कांग्रेस स्थापना दिवस के एक दिन पहले कांग्रेस ने मनरेगा बचाओ, वोट चोरी, बांग्लादेश, अल्पसंख्यकों पर हो रहा अत्याचार सरीखे मुद्दों पर कार्यसमिति की बैठक बुलाई थी, लेकिन उसके ठीक पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के एक्स पर किये गए दो पोस्ट ने सनसनी फैला दी.

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दरअसल, दिग्विजय सिंह पहले भी पार्टी संगठन को मजबूत करने की वकालत करते आए हैं. वोट चोरी के खिलाफ अभियान चलाने के पार्टी के ऐलान के बाद भी दिग्विजय का कहना था कि, वार्ड स्तर पर हमारे पास संगठन है.

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इसके बाद पोस्ट के जरिए दिग्विजय ने सीधे राहुल गांधी से संगठन की मजबूती के लिए उसके विकेंद्रीकरण की बात लिख दी. सम्भवतः दिग्विजय को लगा कि उनकी बात को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा, तो सीडब्ल्यूसी की बैठक से पहले आरएसएस और बीजेपी की संगठन की तारीफ करते हुए एक और पोस्ट कर दिया और अपने पहले के पोस्ट को pinned कर दिया.

सूत्रों के मुताबिक दिग्विजय ने कहा कि जब एक तरफ संगठन मजबूत करने के लिए ही संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां हो रही हैं, तब दिग्विजय का ये सवाल उठाना बता रहा है कि, वो इस अभियान की प्रकिया से खुश नहीं हैं.

दिग्विजय ने कहा कि आरएसएस एक खतरनाक संगठन है और उससे मुकाबला करने लिए वार्ड स्तर पर मजबूत संगठन होना बहुत जरूरी है, साथ ही संगठन का विकेंद्रीकरण भी होना चाहिए. जब वार्ड स्तर तक संगठन नहीं होगा तो हमारे कार्यक्रम कैसे सफल होंगे.

अब चूंकि संगठन का सारा काम संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के कंधों पर है, इसलिए इस सियासी लड़ाई को कांग्रेस गलियारों में दिग्गी बनाम केसी के तौर भी तो देखा जा रहा है. साथ ही इसे इशारों में अरसे से बिना पोर्टफोलियो के महासचिव प्रियंका को संगठन में अहम जिम्मेदारी दिए जाने की मांग भी माना जा रहा है.

हालांकि, जब दिग्विजय ने अपनी बात बैठक में कही तब सभी ने चुपचाप खामोश होकर सुना, लेकिन कांग्रेस ने तय किया कि वो इस मामले को तूल नहीं देंगे. इसलिए इस पर मीडिया विभाग से लेकर खरगे-राहुल तक चुप्पी साधे रहे.

मनरेगा बचाव पर पीसी करने आए खरगे ने 5 जनवरी से देशव्यापी आंदोलन की बात कही तो राहुल ने इसके बदलाव की जानकारी मंत्री तक को नहीं होने की बात कहकर पीएम पर निशाना साधा, लेकिन दिग्गी राजा से जुड़ा सवाल न आये इसलिए बिना सवाल लिए दोनों नेता चले गए.

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में खरगे ने दिग्विजय और शशि थरूर को उनके बयानों के लिए नसीहत भी दी.

खरगे ने दिग्विजय को कहा कि भारत में जो हो रहा है, उसकी प्रतिक्रिया बांग्लादेश में हो रही है, ये तुलना कैसे कर सकते हैं, इससे पार्टी को नुकसान होता है.

वहीं, शशि थरूर के विदेश नीति पर सवाल नहीं उठाने वाले बयान को लेकर खरगे ने कहा कि, ये बयान ठीक नहीं. इससे पार्टी को परेशानी होती है. अगर विदेश नीति में खामी है तो क्यों नहीं उठाया जाएगा.

इसके बाद बैठक खत्म होते ही शशि थरूर तो मीडिया से बचते हुए निकल गए, लेकिन दिग्विजय सिंह ने अपने पोस्ट पर सफाई दी.

उन्होंने कहा, मैंने आरएसएस और बीजेपी की तारीफ नहीं की है, मैंने उनके संगठन की बात की है. मैं आरएसएस, बीजेपी का घोर विरोधी हूं. बाकी हमारे संगठन को लेकर जो मुझे कहना था वो मैंने लिखा है. मैं हमेशा से विकेंद्रीकरण का पक्षधर रहा हूं और आज बैठक में भी कहा है, जो कहा है वो यहां नहीं बताऊंगा, मेरा केसी वेणुगोपाल के खिलाफ पोस्ट नहीं है.

अब रविवार यानी कल भी कांग्रेस के दिग्गज नेता 141वें स्थापना दिवस पर इकट्ठा होंगे, जहां 5 जनवरी से शुरू होकर फरवरी तक चलने वाले मनरेगा बचाओ अभियान के कार्यक्रम का आधिकारिक ऐलान होगा, जिसे प्रियंका गांधी ने अंतिम रूप दिया है, लेकिन फिलहाल चर्चा में दिग्गी राजा का बने रहना तय है.


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