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GN Saibaba कौन, जो 90% दिव्यांग, हाईकोर्ट ने बरी किया, 10 पॉइंट में जानें क्यों हुई थी उम्रकैद?

GN Saibaba Maoist Links Case Update: जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बार फिर बरी कर दिया है। उनकी उम्रकैद की सजा भी कैंसिल हुई है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा है। 2022 में भी शरीर से 90 फीसदी दिव्यांग साईबाबा को बरी किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले की खिलाफत करते हुए सजा को बरकरार रखा था।

Delhi University Former Professor GN Saibaba
GN Saibaba Maoist Links Case Latest Update: माओवादी से संबंध होने के आरोप झेल रहे दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर GN साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। उनकी उम्रकैद की सजा को भी रद्द कर दिया गया है। जीएन साईं बाबा अभी नागपुर की सेंट्रल जेल में कैद हैं। आज हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के सदस्यों जस्टिस विनय जोशी और वाल्मिकी एसए मेनेजेस ने गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत साईबाबा के खिलाफ दर्ज केस की सुनवाई की और साईबाबा समेत 6 अन्य लोगों की उम्रकैद की सजा के फैसले को भी पलट दिया। उन्हें मार्च 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें बरी किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बरी करने के फैसले को निलंबित कर दिया। अब एक बार फिर बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत देते हुए उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया।

कौन हैं साईबाबा?

आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी के एक कस्बे अमलापुरम में जन्मे साईबाबा को 5 साल की उम्र में पोलियो हो गया था। उनकी कमर से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता। वे व्हीलचेयर पर रहते हैं और करीब 90 फीसदी दिव्यांग हैं। सीमित हो गए और 80% शारीरिक रूप से विकलांग हो गए। पत्नी वसंत से वे कोचिंग क्लास में मिले थे, जिससे उन्होंने लव मैरिज की। गोकरकोंडा नागा साईबाबा के नाम से मशहूर जीएन साईबाबा पढ़ाई पूरी करने के बाद 2003 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज से बतौर अंग्रेजी प्रोफेसर जुड़े। जीएन साईबाबा मशहूर लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं। बतौर मानवाधिकार कार्यकर्ता वे आदिवासियों-जनजातियों की आवाज हैं। उनके हितों और विकास के लिए संघर्ष करते रहे हैं। साल 2014 में उन्हें नक्सलियों को समर्थन देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके चलते उन्हें कॉलेज से निलंबित कर दिया गया। 31 मार्च 2021 को उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। साईबाबा ने अखिल भारतीय पीपुल्स रेजिस्टेंस फोरम (AIPRF) के कार्यकर्ता के रूप में कश्मीर और उत्तर पूर्व में चल रहे मुक्ति आंदोलनों का समर्थन किया। दलितों और आदिवासियों के अधिकारों के लिए 2 लाख किलोमीटर की यात्रा भी की थी।  

जानें मामले में कब और क्या हुआ?

  • मई 2014 में जीएन साईबाबा, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलीकर, पांडु नरोटे और पूर्व पत्रकार प्रशांत राही को गिरफ्तार किए गए। पांडु नरोटे की मौत हो चुकी है।
  • साईबाबा पर क्रांतिकारी डेमोक्रेटिक फ्रंट का सदस्य होने का आरोप लगाया गया। उनके और अन्य 6 लोगों के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया।
  • नागपुर पुलिस ने सभी को 14 महीने तक अंडा जेल में रखा, जो देश की सबसे खतरनाक जेलों में से एक है। इसी जेल में कसाब को भी रखा गया था, लेकिन इन 14 महीनों में 4 बार उनकी जमानत याचिका खारिज की गई।
  • फरवरी 2015 में गढ़चिरौली की सेशन कोर्ट ने जीएन साईबाबा और अन्य 6 आरोपियों खिलाफ आरोप तय किए। जून 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने सतों लोगों को सशर्त जमानत दे दी।
  • अक्टूबर 2015 में पुलिस ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। दिसंबर 2015 में सेशन कोर्ट में केस की सुनवाई शुरू हुई।
  • मार्च 2017 में गढ़चिरौली की सेशन कोर्ट ने आरोपियों को दोषी ठहराया। साईबाबा और 4 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई। एक को 10 साल कैद की सजा सुनाई।
  • मार्च 2017 में साईबाबा समेत अन्य दोषियों ने उम्रकैद की सजा के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष याचिका दायर की।
  • अक्टूबर 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने साईबाबा और 5 अन्य दोषियों को बरी कर दिया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सजा को बरकरार रखा।
  • जीएन साईबाबा को गिरफ्तार करके नागपुर की सेंट्रल जेल में भेज दिया गया।


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