Angel Chakma Murder: भारतीय होने के बावजूद एक युवक को नस्लीय भेदभाव झेलना पड़ा. 6 युवकों ने चाइनीज, चिंकी, मोमो कहकर चिढ़ाया तो युवक को इसका विरोध करने की सजा अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. जी हां, बात हो रही है त्रिपुरा निवासी एंजेल चकमा की, जिस पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 6 युवकों ने चाकू से हमला किया था और 17 दिन जिंदगी-मौत से जूझने के बाद उसने गत 26 दिसंबर को दम तोड़ दिया था.
एंजेल चकमा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
देहरादून पुलिस ने एंजेल चकमा की मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर अपडेट दिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आरोपियों ने चाकू से सिर, गर्दन, पीठ और पेट पर हमले किए थे. एंजेल के दिमाग और रीढ़ की हड्डी में गहरे घाव थे. उसके पैर और शरीर का दायां हिस्सा सुन्न हो गया था. पीठ और गर्दन पर चाकू के वार से चोटें थी. ज्यादा खून बहने की वजह से एंजेल की मौत हो गई. पुलिस ने आरोपियों से वारदात में इस्तेमाल चाकू बरामद कर लिया है.
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एंजेल चकमा हत्याकांड से पूर्वोत्तर भारत में आक्रोश
नस्लीय भेदभाव करते हुए एंजेल चकमा को जान से मारे वाले युवकों के खिलाफ पूर्वोत्तर भारत के लोगों में आक्रोश है. नस्लीय भेदभाव के खिलाफ आक्रोश है और एंजेल चकमा के लिए इंसाफ की मांग की जा रही है. छहों आरोपियों को मौत की सजा देने की मांग की जा रही है. त्रिपुरा के CM माणिक साहा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से फोन पर बात करके हत्याकांड की निंदा की और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
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9 दिसंबर को हुआ था एंजेल-माइकल पर हमला
देहरादून के SSP अजय सिंह ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि 9 दिसंबर को 24 वर्षीय MBA स्टूडेंट एंजेल और उसका भाई माइकल देहरादून के सेलाकुई इलाके में शॉपिंग करने गए थे, जहां वे एक कैंटीन में रुके और शराब पीने लगे. वहीं सूरज ख्वास, अविनाश नेगी और सुमित भी अपने दोस्तों के साथ शराब पी रहे थे कि अचानक उन्होंने एंजेल और माइकल को चिढ़ाना शुरू कर दिया. वे एंजेल माइकल को सीटियां मार-मार कर चाइनीज, चिंकी, मोमो कहकर बुलाने लगे.
एंजेल ने हम भारतीय हैं कहते हुए विरोध किया
एंजेल ने विरोध किया और कहा कि हम भारतीय हैं, त्रिपुरा के रहने वाले हैं, लेकिन युवक भड़क गए और गाली गलौज करते हुए मारपीट शुरू करने लगे. देखते ही देखते युवकों ने चाकू निकाल लिए और एंजेल पर हमला किया. माइकल के सिर पर भी हमला किया, जिससे वह बेहोश हो गया. युवकों ने चाकू से एंजेल पर कई वार किए और फिर फरार हो गए. कैंटीन स्टाफ ने पुलिस को मामले की सूचना दी तो पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों घायलों को अस्पताल पहुंचाया.
17 दिन बाद अस्पताल में एंजेल ने दम तोड़ा
गंभीर हालत के चलते एंजेल को जिला अस्पताल से ग्राफिक एरा अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां 17 दिन के संघर्ष के बाद 26 दिसंबर को एंजेल ने दम तोड़ दिया. घटना के अगले ही दिन 10 दिसंबर को एंजेल के परिजनों ने नस्लीय हमले की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें 26 दिसंबर को हत्या की धारा 103 भी जोड़ दी गई. पुलिस ने कैंटीन में लगे CCTV कैमरे चेक करके आरोपियों की शिनाख्त की. फिर छापेमारी करके सूरज, अविनाश, सुमित को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया.
मुख्य आरोपी फरार और इनाम हुआ घोषित
वहीं 2 नाबालिग आरोपियों शौर्य और आयुष को बाल सुधार गृह में भेज दिया गया. मुख्य आरोपी यज्ञराज अवस्थी के नेपाल भागने की खबर मिली है, जिसका सुराग देने वाले को 25000 रुपये इनाम देने की घोषणा पुलिस विभाग ने की है. त्रिपुरा और पूर्वोत्तर भारत में हत्याकांड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं और कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं. सीमा सुरक्षा बल (BSF) जवान और मणिपुर के तांगजेंग में तैनात तरुण प्रसाद चकमा ने बेटे के लिए इंसाफ की मांग की है.